उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना (Integrated Model Agriculture Village Scheme) की शुरूआत की है. देहरादून (Dehradun) जिले के डोइवाला क्षेत्र के माजरी ग्रांट गांव में योजना शुरू करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि एकीकृत आदर्श ग्राम योजना एक ऐसी योजना है जो मील का पत्थर साबित होगी. यह योजना राज्य सरकार और NABARD के सहयोग से चलाई जा रही है.

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इस योजना का मकसद खेती-बाड़ी की पैदावार बढ़ाना, गांव के लोगों को रोजगार देना और किसानों की आमदनी (Farmers Income) बढ़ाना है.

किसान उत्पादक संगठन (FPO) को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के जागरूक होने से कृषि उत्पादन में सुधार के साथ ही उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्यधार झील निर्माण के बाद 29 गावों को सिंचाई और पीने का पानी मिल सकेगा. इसके साथ ही सिंचाई और पेयजल की व्यवस्था के लिए जमरानी और सौंग बांध की रुकावटों को जल्द ही दूर किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि किसानों के लिए पहले दो लाख तक का ब्याजमुक्त ऋण दिया जा रहा था जिसे अब बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा रहा है.

एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना

बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य में किसानों और गांवों की तस्वीर बदलने के लिए इस साल जुलाई के महीने में एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की मंजूरी दे दी थी.

इस योजना के तहत राज्य के 95 ब्लॉकों में 95 गांवों को चुन कर कृषि कलस्टर तैयार कर सामूहिक खेती की जाएगी. और एक कलस्टर में 100 किसानों को शामिल किया जाएगा. योजना के तहत गांवों का चयन  जिला अधिकारी की अध्यक्षता में गठिक कमेटी करेगी.

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इसके बाद चुने गए गांव में ग्राम सभा की बैठक होगी जिसमें 100 किसानों का एक कलस्टर तैयार किया जाएगा. कलस्टर को चलाने के लिए एक समिति बनाई जाएगी जिसमें गांव के लोग ही अध्यक्ष और सचिव होंगे.

एक कलस्टर के तहत 10 हेक्टेयर खेती की जमीन को शामिल किया जाएगा और उस पर वहां की आबोहवा के मुताबकि खेती की जाएगी. खेती के लिए सरकार की ओर से 15 लाख रुपये की मदद दी जाएगी.