पेट्रोलियम उत्पादों (Petroleum Products) को भी वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से चल रही है. एक बार फिर केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने की अपील की. पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि एटीएफ (aviation turbine fuel) और प्राकृतिक गैस (natural gas) पर जीएसटी लगाने के साथ पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की पहल की जाए.

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उन्होंने कहा कि पीएम मोदी (PM Modi) के अगुवाई में दो साल पहले ऐतिहासिक कर सुधार के रूप में जीएसटी (GST) व्यवस्था शुरू की गई थी, लेकिन पेट्रोलियम क्षेत्र की जटिलता तथा इस क्षेत्र में राज्य सरकारों की राजस्व निर्भरता को देखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. अब पेट्रोलियम उद्योग की ओर से इसे जीएसटी के दायरे में लाने की लगातार मांग की जा रही है.

खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) के तहत सरकार तीन राउंड की सफल बोली लगा चुकी है जबकि दो राउंड बोली डीएसएफ के तहत लगायी जा चुकी है. इन बोली प्रक्रियों के जरिए देश में तेल एंव प्राकृतिक गैस के खनन और उत्पादन के क्षेत्र में 2023 तक 58 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश की उम्मीद है.

प्रधान ने कहा कि तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि इससे एक ओर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा तो दूसरी ओर पर्यावरण अनुकूल ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा.

 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि भारत विदेशी निवेशकों का आकर्षक स्थल बनता जा रहा है. कॉर्पोरेट टैक्स घटाने की हाल की घोषणा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में निवेश के लिए अब अनुकूल माहौल बन चुका है. कंपनी कानून और आईबीसी कोड में किए गए बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब नियमों के अनुपालन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है.