मोदी सरकार के आखिरी बजट से हर सेक्टर को उम्मीदे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा उम्मीद कर्मचारी वर्ग को है. यह वर्ग नौकरी तो करता है लेकिन आर्थिक रूप से सुरक्षा उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. ऐसे में अंतरिम बजट में मोदी सरकार ऐसे कर्मचारियों को बड़ा फायदा दे सकती है. सूत्रों की मानें तो अंतरिम बजट में इनफॉर्मल सेक्टर के लिए मोदी सरकार बड़ी सौगात दे सकती है. सरकार सूक्ष्म और लघु उद्योग में सोशल सिक्योरिटी को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है. मसलन, सरकार चाहती है कि जो कम सैलरी पर काम करने वाले लोग हैं, उन्हें प्रोविडेंट फंड, इंश्योरेंस और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलें. अभी तक ये सुविधाएं ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मिलती हैं.

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क्या है इनफॉर्मल सेक्टर

छोटी और मध्यम वर्ग की कंपनियां, जिनके कर्मचारियों की संख्या रजिस्टर नहीं होती और जिन कंपनियों में ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं, ऐसी कंपनियां इनफॉर्मल सेक्टर में शामिल होती हैं. सरकार के पास कंपनियों का रिकॉर्ड तो होता है, लेकिन वर्कर्स के बारे में जानकारी नहीं होती. इन कंपनियों में कम सैलरी के कर्मचारी होते हैं और अधिकतर लोगों को PF, इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं. इनफॉर्मल सेक्टर के ज्यादातर लोग टैक्स के दायरे में नहीं आते.

वहीं, अगर ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की बात की जाए तो इस सेक्टर की कंपनियों का पूरा रिकॉर्ड और वहां काम करने वाले कर्मचारियों का रिकॉर्ड भी सरकार के पास होता है. इन कर्मचारियों को हर तरह की सोशल सिक्योरिटी की सुविधाएं मिलती हैं. 

क्या है सरकार का प्लान?

सरकार मानती है कि इनफॉर्मल सेक्टर में रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं. अगर सोशल सिक्योरिटी लागू की जाए, तो लोगों का रुझान बढ़ेगा और एक नौकरी के लिहाज से सिक्योरिटी भी होगी. आंकड़ों बताते हैं कि देश मे करीब 12 करोड़ से ज़्यादा लोग MSME सेक्टर में काम कर रहे है, जबकि पंजीकृत और गैर पंजीकृत करीब 5 करोड़ से ज्यादा MSME मौजूद हैं.

GDP में 27 फीसदी योगदान

इनफॉर्मल सेक्टर का देश के GDP में तकरीबन 27% का योगदान है. इसमें से 7% करीब मैन्युफैक्चरिंग में है और करीब 21% योगदान सर्विस इंडस्ट्री का है. सरकार का लक्ष्य है कि इनफॉर्मल सेक्टर में सोशल सिक्योरिटी के जरिए ना केवल नौकरियां पैदा होंगी बल्कि फॉर्मल सेक्टर पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकेगा.