El Nino Fear: अल नीनो (El Nino) जैसी परिस्थितियों के बीच सरकार ने अगले महीने से शुरू होने वाले रबी सीजन (Rabi Season) में गेहूं की बुवाई (Wheat Sowing) के कुल रकबे के 60% हिस्से में जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की खेती करने का लक्ष्य रखा है.  केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद 2023-24 के रबी सीजन में 11.4 करोड़ टन की रिकॉर्ड गेहूं पैदावार का लक्ष्य रखा है. एक साल पहले की समान अवधि में गेहूं का वास्तविक उत्पादन 11.27 करोड़ टन रहा था. रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई मार्च और अप्रैल में होती है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने रबी फसलों (Rabi Crops) की बुवाई की रणनीति तैयार करने के लिए आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, जलवायु पारिस्थितिकी में कुछ बदलाव हुए हैं जो कृषि को प्रभावित कर रहे हैं. ऐसे में हमारी रणनीति जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के इस्तेमाल की है. 

ये भी पढ़ें- केले की खेती से लाखों की कमाई, जानिए बेहतरीन किस्में

गर्मी झेल सकने वाली गेहूं की किस्मों का बढ़ेगा रकबा

सरकार ने 2021 में जल्द गर्मी आने से गेहूं की पैदावार पर पड़े असर को देखते हुए 2022 में किसानों को 47% गेहूं रकबे में गर्मी को झेल पाने वाली किस्मों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था. देश में गेहूं की पैदावार का कुल रकबा 3 करोड़ हेक्टेयर है. आहूजा ने इस कार्यक्रम से इतर कहा, हम इस साल गर्मी झेल सकने वाली गेहूं की किस्मों की उपज वाले रकबे का दायरा बढ़ाकर कुल रकबे का 60% करने का लक्ष्य बना रहे हैं.

 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध

कृषि सचिव ने कार्यक्रम में कहा कि देश में 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध हैं. इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के तहत सीड चेन में डालने की जरूरत है. उन्होंने राज्यों से कहा कि वे किसानों को गर्मी-प्रतिरोधी किस्में उगाने के लिए प्रेरित करें. उन्होंने कहा, मैं सभी राज्यों से विशिष्ट क्षेत्रों को चिह्नित करने और उगाई जा सकने वाली किस्मों का नक्शा तैयार करने का अनुरोध करता हूं.

ये भी पढ़ें- सर्दियों में कमाई कराएगी ये फसल, अभी कर लें बुवाई

5% कम हुई बारिश

उन्होंने राज्यों को जलवायु की परिपाटी में आ रहे बदलावों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा, अगर बारिश, तापमान और विविधता का तरीका बदलता रहा तो इसका असर कृषि पर भी पड़ेगा. आहूजा ने कहा, हमने देखा है कि बारिश का तरीका किस तरह बदल रहा है. जून में कम बारिश, जुलाई में अधिक बारिश, अगस्त में शुष्कता और सितंबर में फिर से अधिक बारिश हुई है. इसकी वजह से देश में बारिश 5% कम हुई है. आहूजा ने कहा कि राज्यों में जलाशयों में पानी के स्तर और जमीनी संसाधनों को ध्यान में रखते हुए रबी सीजन के लिए योजना बनानी चाहिए.

इन आशंकाओं से सहमति जताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि संस्था ने 2,200 से अधिक फसल किस्मों का विकास किया है, जिनमें से 800 जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं. उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कहा कि पानी के बाद उर्वरक खेती में एक ऐसा कच्चा माल है जो उत्पादन को प्रभावित करता है. उन्होंने यह भी कहा कि नैनो यूरिया (Nano Urea) और डीएपी फर्टिलाइजर भविष्य बनने जा रहे हैं.