Fish Farming: सर्दियों का मौसम मछली पालकों के लिए बहुत मुश्किल समय होता है. इस मौसम में मछली पालकों को अपने तालाबों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. अगर मछलियों की देखरेख में थोड़ी भी लापरवाही हुई तो मृत्यु दर बढ़ जाती है और मछली पालकों को फायदे के बदले नुकसान होता है. जनवरी में मछलियों की ग्रोथ कम हो जाती है. इसके साथ ही मछलियां काफी सुस्त हो जाती हैं. आइए जानते हैं जनवरी माह में मछली पालकों को किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

मछली और तालाब का करें बेहतर प्रबंधन

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सर्दियों के मौसम में मछलियां सुस्त रहती है और कम गतिविधियां करती है. इसलिए मछलियों को बहुत ही कम भोजन देना चाहिए. औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर अगर मछली पूरक आहार नहीं खाती हो तो पूरक आहार का इस्तेमाल बंद कर दें.

ये भी पढ़ें- बेमौसम बारिश से गेहूं की फसल को फायदा, आलू को हो सकता है नुकसान, जानिए बचाव का तरीका

ठंड के मौसम में प्राकृतिक आहार की उपलब्धता ताबाल में बनाने के लिए प्रति एकड़ प्रत्येक 10 से 15 दिनों के अंतराल पर 15 किग्रा चूना, 15 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट, 5 किग्रा मिनरल मिक्चर और 50 किग्रा सरसों या राई की खल्ली (पानी में फूला कर) घोलकर तालाब में छिड़काव करें

तापमान अधिक गिरने और कोहरा छाने की स्थिति में तालाब में किसी तरह का क्रिया-कलाप यानि पूरक आहार, चूना, खाद, गोबर, दवा आदि का छिड़काव बंद करें. ठंड के मौसम में कार्प मछली वाली तालाब में न्यूनतम पानी का स्तर 5-6 फीट और पेंगेशियस मछली वाली तालाब के न्यूनतम पानी का स्तर 8-10 फीट बनाए रखें. पेंगेशियस के तालाबों में प्रतिदिन 10 से 20 फीसदी तक पानी का बदलाव ट्यूबवेल के पानी से करें.

ये भी पढ़ें- सस्ते में एग्री मशीनें खरीदने का सुनहरा मौका, मिल रही 40-50% सब्सिडी, 15 जनवरी आवेदन की अंतिम तारीख

मछली बीज उत्पादन कॉमन कार्प का ब्रीडिंग जनवरी के अंतिम हफ्ते या फरवरी माह से शुरू कराने के लिए 15-20 दिन पहले नर और मादा कॉमन कार्प के प्रजनक मछली (ब्रूड) को दो अलग-अलग तालाबों में संचयन कर लें. प्रजनक मछली (ब्रूड) को ऑरगुल्स के संक्रमण से बचाने के लिए जरूरत के अनुसार 80-100 एम.एल प्रति एकड़ की दर से बुटौक्स या क्लिनर या टिनिक्स का छिड़काव दिन में 10 बजे से 2 बजे के बीच करें.

ठंड के मौसम में मछलियों को पॉरासाइटिक संक्रमण और फफूंद से होने वाली संक्रमण से बचाव के लिए 40-50 किग्रा प्रति एकड़ की दर से नकम का घोल बनाकर छिड़काव करें या बी.के.सी 80 दवा 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से घोलकर छिड़काव करें.

ये भी पढ़ें- ₹2 लाख की सरकारी मदद से शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने तगड़ी कमाई