रीयल एस्टेट कानून के लागू होने के बाद भी बिल्डर्स घपलेबाजी का कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालते हैं. महाराष्ट्र में बिल्डर्स निर्माण (कंस्ट्रक्शन) के नाम पर विज्ञापन, प्रोमोशन, मार्केटिंग और ब्रोकरेज का खर्च निकाल रहे थे. जबकि नियम यह है कि बिल्डर्स को ग्राहकों से ही ली गई रकम में से 70 प्रतिशत रकम रेरा के अकाउंट में जमा करना होता है, जिसका इस्तेमाल केवल कंस्ट्रक्शन के काम के लिए ही किया जा सकता है. जब इसकी भनक महाराष्ट्र रेरा को लगी तो उसने नियमों में संशोधन कर बिल्डरों की साजिश को नाकाम कर दिया.

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नए नोटिफिकेशन में महाराष्ट्र रेरा ने साफ कर दिया कि रेरा के खाते में जमा 70 प्रतिशत रकम को कंस्ट्रक्शन के अलावा किसी और मद में खर्च नहीं किया जाएगा. बिल्डर अब बाकी 30 प्रतिशत रकम को ही विज्ञापन, प्रोमोशन, मार्केटिंग और ब्रोकरेज के खर्च के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. रेरा कानून के बाद भी बिल्डर और डेवलपर्स के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का अंबार है. हालांकि इस कानून से अब रीयल एस्टेट सेक्टर में काफी सुधार भी देखा जा सकता है.

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 एक कानून है जो घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बना है. बिल राज्यसभा द्वारा 10 मार्च 2016 को और लोकसभा में 15 मार्च 2016 को पारित हुआ था. कानून के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारें छह महीने की वैधानिक अवधि के भीतर अधिनियम के अन्तर्गत नियम सूचित करने के लिए उत्तरदायी हैं. 

इस अधिनियम को बिल्डरों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि के अनुसार बनाया गया है. इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और कई तरह की समस्याएं हैं. RERA एक सरकारी निकाय है जिसका एकमात्र उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के लिए एक पथ रखना है ताकि उन्हें बेहतर सेवाओं के साथ आगे आने का मौका मिले.