पिछले दिनों जांच में सामने आया था कि ई-वे बिल में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है. इस सिस्टम को भी कुछ लोगों ने टैक्स चोरी का जरिया बना लिया है. सेंधमारों ने इस फुलप्रूफ योजना में भी झोल ढूंढ कर सरकार को मोटा चूना लगाना शुरू कर दिया है. टैक्स चोर ई-वे बिल के जनरेट होते ही उसे कैंसिल कराकर सरकार को टैक्स में मोटी चपत लगा रहे हैं और बिना कोई टैक्स अदा किए सिस्टम में ही रहकर अपना माल एक शहर से दूसरे शहर पहुंचा रहे हैं. 

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ई-वे सिस्टम में रोजना लगभग 15 लाख बिल जनरेट होते हैं, लेकिन उसी क्रम में 1 लाख बिल कैंसिल भी हो जाते हैं. बिल कैंसिल के पीछे टैक्स चोरों का एक बड़ा षड़यंत्र काम कर रहा है. इस पूरे मामले में सरकार को जो आंकड़े हाथ लगे हैं वे चौंकाने वाले हैं. सरकार ने बिल के इस दुरुपयोग करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने और सिस्टम को और ज्यादा मजबूत करने का फैसला किया है.

काम कर रहा है पूरा सिंडिकेट

जीएसटीएन द्वारा जांच में पाया गया कि कुछ लोग नियमित रूप से ई-वे बिल तैयार करने चार घंटे के भीतर उस बिल को रद्द कर रहे हैं. इस तरह करीब 1 लाख बिल रोजाना रद्द भी हो रहे हैं. इतनी संख्या में ई-वे बिल कैंसिल होने के चलते राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और जीएसटीएन सिस्टम की जांच शुरू की गई तो जांच में पाया कि कुछ व्यापारी जानबूझ कर अपने ई-वे बिल रद्द करवा रहे हैं. और बिल कैंसिल होने का यह काम बिल जनरेट होने के चार घंटे के भीतर किया जाता है. और इन चार घंटे के भीतर ही माल की डिलीवरी भी हो जाती है. यानी माल भी पहुंच गया और बिल भी कैंसिल हो गया. 

जनरेट होगा OTP

ई-वे बिल को और पुख्ता बनाने के लिए जीएसटीएन ने अब ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड सिस्टम शुरू किया है. इससे यह साबित हो सकेगा कि जिस माल की डिलीवरी की जा रही है, उस पर टैक्स चोरी नहीं की जा सके.

यह भी पढ़ें- जैसा सामान, वैसा ही बिल होगा तैयार, E-Way Bill सिस्टम में किए बदलाव, PIN कोड हुआ अनिवार्य

ओटीपी के साथ फास्ट टैगिंग मैकेनिज्म शुरू किया जाएगा. इसमें किसी कारोबारी को टैक्स चोरी करते हुए पकड़े जाने पर उसका रजिस्ट्रेशन तुरंत सस्पेंड किया जा सकेगा

जानकारी के मुताबिक नए सिस्टम में एक ओटीपी पासवर्ड जनरेट होगा और उसके सत्यापान के बाद ही ई-वे बिल का कन्साइनमेंट पूरा माना जाएगा. जब तक ओटीपी का सत्यापान नहीं होगा सिस्टम में कारोबारी पर लाल निशान लगा रहेगा. 

क्या E-Way बिल में भी हो रहा है 'घोटाला', सामने आया चौंकाने वाला आंकड़ा

इस ओटीपी के साथ सरकार नेशनल हाईवे अथॉरिटी के फास्ट टैग मैकेनिज्म का भी इस्तेमाल करेगी. ताकि, कारोबारी के कंसाइनमेंट पर पूरे रास्ते नजर रखी जा सके. 

4 घंटे के अंदर 1 लाख बिल होते हैं कैंसिल

जांच में यह भी पाया गया कि एक ही जीएसटीएन नंबर से तैयार 100 बिलों में 99 बिलों को रद्द कराया गया है. खासबात ये रही कि जिन बिलों को रद्द किया गया उनमें से ज्यादातर वे थे जिन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा नहीं किया गया है. ये बिल चार घंटे के भीतर ही रद्द किए जाते हैं.

खासबात ये है कि जो बिल कैंसिल किए जा रहे हैं उन पर लोहा, स्टील, सीमेंट, सैनिटरी आइटम और तांबे के तार आदि जैसे वे सामान भेजे जा रहे हैं जो आसानी खप जाते हैं. जांच में यह बात भी सामने आई है कि इन बिलों पर सामान भेजने की दूरी आसपास के शहर आदि होते हैं, जहां सामान को चार घंटे के भीतर ही पहुंचा दिया जाता है.