पंजाब नेशनल बैंक के महाघोटाले का मुख्य आरोपी नीरव मोदी लंदन में गिरफ्तार हो चुका है. अब उसे पश्चिम यूरोप की सबसे बड़ी जेल में रखा गया है. 29 मार्च को नीरव मामले में ब्रिटेन की अदालत सुनवाई करेगी. लंदन में नीरव मोदी की गिरफ्तारी के बाद उसे जल्द भारत लाने की उम्मीदें जागी हैं. लेकिन, नीरव को लाना आसान नहीं है. इसमें अभी देर लगेगी. क्योंकि, भारतीय एजेंसियों के लिए आगे की चुनौती और कड़ी है. विजय माल्या की तरह नीरव मोदी का प्रत्यर्पण भी अभी दूर की कौड़ी है. ब्रिटेन से प्रत्यर्पण का 27 साल पुराना इतिहास तो कुछ यही गवाही देता रहा है. आइये समझते हैं कैसे...

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अभी लंबा करना होगा इंतजार

नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की राह आसान नहीं है. भारत के भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह नीरव मोदी के लिए भी भारतीय एजेंसियों को ब्रिटेन की लंबी कानूनी और न्यायिक प्रक्रिया का इंतजार करना होगा. क्योंकि, नीरव के पास ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण को चुनौती देने का विकल्प है. नीरव मोदी अगर ब्रिटिश अदालत में चुनौती देता है तो फैसला आने में एक साल का समय लगेगा. 

क्यों लगेगा इतना लंबा वक्त?

दरअसल, ब्रिटिश अदालत प्रत्यर्पण के मामले में सीधे तौर पर कोई फैसला नहीं सुनाती. भारत की तरफ से प्रत्यर्पण की मांग के बाद अदालत में इस मसले पर बहस होगी. इसके बाद ही अदालत ब्रिटिश गृह मंत्रालय को आदेश देगी कि प्रत्यर्पण के मामले में फैसला लें. हालांकि, गृह मंत्रालय के आदेश पर भी नीरव मोदी के पास ऊपरी अदालत में अपील करने का रास्ता खुला रहेगा. अगर ऐसा होता है तो इसमें और भी लंबा वक्त लग सकता है. भले ही नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस और गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है, लेकिन यह सिर्फ उसकी गिरफ्तारी के लिए था. प्रत्यर्पण की प्रक्रिया इससे बिल्कुल अलग होती है.

अच्छा नहीं है प्रत्यर्पण का इतिहास

भारतीय जांच एजेंसियां भले ही नीरव मोदी, माल्या जैसे भगोड़ों को ब्रिटेन से लाने के दावे करती हैं. प्रत्यर्पण की कार्रवाई तेज करने के प्रयास भी जारी हैं. लेकिन, ब्रिटेन से भारतीय आरोपियों के प्रत्यर्पण का इतिहास अच्छा नहीं है. 1992 में दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि पर करार हुआ था. लेकिन, 27 साल में सिर्फ एक गुजराती व्यापारी का ही प्रत्यर्पण हो सका है. ब्रिटिश अदालत में प्रत्यर्पण के कई मामले अभी लंबित पड़े हैं. वहीं, कुछ मामलों को खारिज कर दिया गया है. करीब एक साल से विजय माल्या के खिलाफ भी भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रही हैं. ऐसे में नीरव मोदी को जल्द लाने का दावा करने बेमानी है.

6 महीने में हुई सिर्फ गिरफ्तारी

भारतीय एजेंसियों ने पिछले साल ब्रिटेन से नीरव मोदी की प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू करने की अपील की थी. लेकिन, करीब 6 महीने बीतने पर अभी सिर्फ उसकी गिरफ्तारी हुई है. इस बीच इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया और प्रत्यर्पण की अपील पर अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया. सूत्रों की मानें तो इसमें कुल 224 दस्तावेज ब्रिटेन को सौंपे गए. इसके बाद ही यह संभव हो पाया है. हालांकि, ईडी और सीबीआई का दावा है कि वह ब्रिटेन से नीरव मोदी के जल्द प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, हकीकत यह है कि प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. और इसमें कितना वक्त लगेगा अभी कहना मुश्किल है.