क्या एक्सिस बैंक (Axis Bank) और भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की महाराष्ट्र में एक पावर प्लांट (Power Plant) को एक असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी यानी एआरसी (ARC) को बेचने की जल्दबाजी नियामक बाधाओं में फंस सकती है? विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड (VIPL) के लिए चार्टर्ड फाइनेंस मैनेजमेंट (सीएफएम) एआरसी की बोली अभी इस पावर प्लांट के कर्जदाता एक्सिस बैंक और एसबीआई (SBI) के पास विचाराधीन है. यह कोयला आधारित पावर प्लांट नागपुर के पास है, जिसकी क्षमता करीब 600mv की है.

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हालांकि, सूत्रों का कहना है कि दोनों बैंकों ने सीएफएम एआरसी के खिलाफ मिल रहे चेतावनी भरे संकेतों को नजरअंदाज कर दिया होगा. चार्टर्ड फाइनेंस मैनेजमेंट एआरसी के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से कुछ सवालियों बिजनेस प्रैक्टिस के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसके चलते यह कंपनी अपना लाइसेंस तक खोने के कगार पर पहुंच गई थी. सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा भी आयकर विभाग ने शेल कंपनियों से कनेक्शन होने के एक मामले में इस कंपनी की तलाशी ली थी.

एक्सिस बैंक उस कंसोर्टियम का नेतृत्व कर रही है, जिसने वीआईपीएल को पैसे उधार दिए थे और एसबीआई इस बिजली कंपनी का सबसे बड़ा कर्जदाता है. सूत्रों का मानना है कि ये दोनों बैंक वीआईपीएल की बिक्री के लिए बोलियों को मंजूरी देने में अहम भूमिका निभाते हैं और पिछले कुछ महीनों में आई बोलियों का मूल्यांकन करने के बाद वह सीएफएम एआरसी की बोली पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. इस मामले से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा, सौदे को आगे बढ़ाने के लिए कर्ज देने वाले बैंक आज बैठक करेंगे.

अभी यह साफ नहीं है कि क्या सीएफएम ने कर्ज देने वालों को बताया है कि उसे पिछले साल आरबीआई की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और वह अपना लाइसेंस खोने के कगार पर आ गया था. दिसंबर 2021 में आयकर विभाग ने 4 असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों पर छापे मारे थे और सीएफएम उनमें से एक थी. रिजर्व बैंक के छापे से पता चला था कि असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों ने उधार लेने वाले एक समूह के साथ साठ-गांठ की थी और शेल कंपनियों का एक चक्रव्यूह बनाकर उनका इस्तेमाल नॉन परफॉर्मिंग असेट यानी एनपीए (NPAs) का अधिग्रहण करने में किया था. इसके बाद रिजर्व बैंक की तरफ से सीएफएम कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

जी बिजनेस से बात करते हुए एक विशेषज्ञ ने कहा कि सीएफएम एआरसी के पास पावर प्लांट के अधिग्रहण के सौदे को पूरा करने के लिए पैसों की कमी है. सीएफएम एआरसी की बैलेंस शीट देखने औरल उसकी तरफ से बैंकों को सौंपी गई बोली की तुलना से कंपनी की वित्तीय हालत का पता चलता है. सूत्रों का कहना है, सीएफएम एआरसी ने वीआईपीएल के अधिग्रहण के लिए 1220 करोड़ रुपये की बोली लगाई है और वादा किया है कि कर्जदाताओं की मंजूरी मिलने के महज 90 दिनों में पूरी राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.

सीएफएम एआरसी की बैलेंस-शीट की स्टडी से पता चलता है कि यह कंपनी 800 करोड़ रुपये के कर्ज और सिर्फ 200 करोड़ रुपये की इक्विटी से फंडेड है. यानी इसका 80 फीसदी हिस्सा कर्ज का है, जबकि सिर्फ 20 फीसदी हिस्सा इक्विटी का है.  इसके अलावा बैलेंस शीट में कुछ छोटी अवधि के कर्ज भी होते हैं, जो इस असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ लंबी अवधि के फंड की अस्थिरता दिखाते हैं. वहीं वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो और प्रॉफिटेलिटी बहुत ही कमजोर रहे हैं. वित्त वर्ष 2022 के लिए सीएफएम का ऑपरेशनल EBITDA52 करोड़ रुपये है और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) वित्त सिर्फ 30 करोड़ रुपये है. यह दिखाता है कि यह कंपनी किसी थर्ड पार्टी की तरफ से बड़ी फंडिंग मिले बिना तो इतनी बड़ी डील को पूरा नहीं करने की हालत में है. विशेषज्ञ कहते हैं कि बुनियादी जांच की पूरी जिम्मेदारी दोनों बैंकों पर है.

रिलायंस पावर की सहायक कंपनी वीआईपीएल 2019 में एनपीए में बदल गई, क्योंकि इसका काम-काज बिजली खरीद समझौतों से जुड़े विवादों के कारण बाधित हुआ और नियामकीय देरी के चलते यह अपनी ईंधन लागत भी नहीं निकाल पा रही थी. सीएफएम एआरसी के अलावा एक अन्य सरकारी कंपनी नेशनल एआरसी ने भी वीआईपीएल के लिए बोली लगाई थी. इस कंपनी ने 1150 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जिसमें 15 फीसदी रकम का भुगतान तुरंत किया जाना था और बाकी के पैसों का भुगतान अगले 5 सालों में किए जाने का प्रस्ताव दिया गया था. वीआईपीएल ने खुद भी बैंकों को एक बार में पैसे देने का सेटलमेंट ऑफर दिया था. इसका तहत कंपनी कुल 1260 रुपये का भुगतान कर रही थी, जिसमें से 10 फीसदी का भुगतान डील के वक्त होगा और बाकी का पैसे कर्जदाताओं की मंजूरी मिलने के बाद अगले 75 दिनों में किए जाने का प्रस्ताव था. वीआईपीएल ने बोलियों के बेहतर मूल्यांकन के लिए एक स्विस चैलेंज (Swiss Challenge) तरीके का भी प्रस्ताव दिया था.

(एक्सिस बैंक, एसबीआई और सीएफएम की तरफ से उन्हें भेजे गए ईमेल का जवाब खबर पब्लिश किए जाने नहीं मिला है. जब भी उनकी तरफ से इसका जवाब आता है, उसे इस खबर में जोड़ दिया जाएगा.)