अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) ने शनिवार को कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), देना बैंक और विजया बैंक का विलय अनावश्यक है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था और लोगों को लाभ नहीं पहुंचेगा. संघ ने इस फैसले के खिलाफ 26 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. बैंक यूनियन ने कहा कि इस समय शाखाओं के विस्तार की जरूरत है, जबकि विलय से शाखाओं की संख्या घटेगी और बड़ी संख्या में बैंक कर्मचारियों की नौकरी भी जा सकती है.

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बैंकों के विस्तार की जरूरत

AIBEA के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, 'विलय से कर्मचारियों के हित, उनकी नौकरी और नौकरी की सुरक्षा प्रभावित होगी. इस कदम से बैंकिंग उद्योग में रोजगार के अवसर पर भी प्रभाव पड़ेगा.' उन्होंने कहा कि कई गांवों में अब तक बैंकिंग सेवाएं नहीं पहुंच सकी हैं. वेंकटचलम ने कहा, 'बड़ी संख्या में लोग अब भी (बैंकिंग सेवाओं से) वंचित हैं. बैंकों के विस्तार की जरूरत है. उनके एकीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है.'

मोदी सरकार ने इस साल सितंबर में बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय की घोषणा की थी. सरकार के इस फैसले के साथ ही एसबीआई के सहयोगी बैंकों के विलय के बाद बैंकिंग क्षेत्र में दूसरे बड़े विलय का रास्ता साफ हो गया. इन तीनों बैंकों के विलय से बना बैंक देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.

सरकार की सफाई

इन बैंकों के विलय की घोषणा के बाद कर्मचारियों ने विरोध किया. इस बारे में वित्त मंत्री जेटली ने कहा है, 'सरकार द्वारा विलय की घोषणा के मद्देनजर इन तीनों बैंकों के कर्मचारियों को अपने करियर को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं. किसी भी कर्मचारी को ऐसी सेवा दशाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो उनके लिए प्रतिकूल प्रकृति की हो. सबसे बेहतर सेवा दशाएं उन सभी पर लागू होंगी.' वित्त मंत्री ने ट्वीट करके भी कहा कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी. तीनों बैंकों के विलय से भारत का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनेगा, जो वैश्विक स्तर का होगा. जेटली ने कहा कि तीनों बैंकों के विलय से इनकी परिचालन क्षमता बढ़ेंगी. इसके बावजूद कर्मचारियों की नाराजगी दूर होती नहीं दिख रही है.