स्क्रैप सेंटर लगाना अब आसान होगा. इसको लेकर सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के साथ सरकार ने 30 दिनों के अंदर सुझाव और आपत्ति भी मांगे हैं. नोटिफिकेशन के अनुसार स्‍क्रैप सेंटर खोलने से पहले राज्‍य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से CTE ( Consent to Establish) और CTO (Consent to Operate) प्राप्‍त करना होगा. CTE और CTO के 60 दिन बाद स्‍थापना की मंजूरी मिल जाएगी और सार्टिफिकेट की वैधता 2 साल से बढ़कर 3 साल होगी.

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इसके अलावा सरकारी और इंपाउंडेड गाड़ियों पर सार्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट के लिए कोई इंसेंटिव नहीं होगा. सरकारी गाड़ियों के स्क्रैप पर राशि भारत कोश में जमा करनी होगी. अन्य स्थिति के लिए खाते का चयन कर डिजिटल ट्रांसफर अनिवार्य होगा.

क्‍या है स्‍क्रैप सेंटर

पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में बदलने के लिए मशीनों से तोड़ा यानी क्रश किया जाता है, जिससे उन टुकड़ों को रिसाइकल कर दोबारा से यूज किया जा सके. देश की नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत 15 साल से पुराना कामर्शियल वाहन और 20 साल से ज्यादा पुराने प्राइवेट वाहन हटाए जाने हैं और इसके लिए स्‍क्रैप सेंटर्स की जरूरत बढ़ेगी. ऐसे में स्‍क्रैप सेंटर खोलने के लिए परिवहन विभाग की ओर से आवेदन मांगे गए थे.

 कोई भी व्यक्ति या संस्था स्क्रैपिंग सेंटर बनाने के लिए आवेदन कर सकता है. सरकार की ओर से आवेदन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों प्रक्रिया मौजूद हैं. स्‍क्रैप सेंटर खोलने के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं जिन्‍हें पूरा करना अनिवार्य है. बता दें सरकारी नियम के अनुसार अगर कोई वाहन मालिक स्‍क्रैप सेंटर पर अपने वाहन को तय समय पूरा होने पर कटवाएगा, तो उसे एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. इस प्रमाणपत्र के जरिए उन्‍हें नई गाड़ी खरीदने पर छूट मिलती है.