Electric Vehicle in India: विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कहा है कि दुनिया में दोपहिया टू व्हीलर (electric two wheeler) और तिपहिया वाहनों (three wheeler) के सबसे बड़े बेड़े वाले देश भारत के इन सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में तब्दील करने के लिए 285 अरब डॉलर की भारी रकम की जरूरत पड़ेगी. भाषा की खबर के मुताबिक, डब्ल्यूईएफ ने नीति आयोग के साथ मिलकर तैयार किए गए एक श्वेत पत्र में कहा है कि भारत में शहरी परिवहन और लोगों को उनके आखिरी मुकाम तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों को तेजी से अपनाया जा रहा है. 

ईवी को अपनाने को लेकर थोड़ी हिचकिचाहट दिखा रहे 

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श्वेत पत्र के मुताबिक, इसके मुताबिक, दोपहिया और तिपहिया कैटेगरी के वाहनों को सबसे पहले इलेक्ट्रिक ढांचे में ढाले जाने की संभावना है. हालांकि इन वाहनों के मालिक और चालक दोनों ही ईवी को अपनाने को लेकर थोड़ी हिचकिचाहट दिखा रहे हैं. इसके पीछे ईवी पर आने वाली ऊंची लागत, नई टेक्नोलॉजी को लेकर भरोसे की कमी, विश्वसनीयता का अभाव और वाहन के पुराना हो जाने पर उसकी बिक्री से मिलने वाले मूल्य को लेकर अनिश्चितता होना जैसे चलते हैं.

टू और थ्री व्हीलर्स की हिस्सेदारी

इसके बावजूद पिछले कुछ सालों में दोपहिया (two wheeler) और तिपहिया (Three wheeler) को ईवी (EV) स्वरूप में अपनाने का सिलसिला जोर पकड़ रहा है. भारत में बिकने वाले कुल वाहनों में दोपहिया और तिपहिया वाहनों का सम्मिलित हिस्सा करीब 80 प्रतिशत है. देश भर में करीब 45 ऐसी कंपनियां हैं जो इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन बनाती हैं और इनका सम्मिलित बिक्री आंकड़ा 10 लाख यूनिट को पार कर चुका है. लेकिन देश में उपलब्ध कुल 25 करोड़ दोपहिया और तिपहिया वाहनों की संख्या के अनुपात में ईवी का आंकड़ा बेहद कम है.

वाहनों की संख्या बढ़कर 27 करोड़ होने का आकलन 

डब्ल्यूईएफ (WEF) ने इस श्वेत पत्र में कहा कि भारत के समूचे दोपहिया और तिपहिया वाहनों को ईवी में तब्दील करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए करीब 285 अरब डॉलर (लगभग 23 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी की जरूरत पड़ेगी. इस अनुमान के पीछे इन वाहनों की संख्या बढ़कर 27 करोड़ हो जाने का आकलन शामिल है. देश में इस साल इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और थ्री व्हीलर्स के कई नए प्रोडक्ट मार्केट में लॉन्च हुए. यहां तक कि इलेक्ट्रिक कारों के भी कई नए मॉडल पेश किए गए.

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