आस्ट्रेलिया ने भारत के साथ चीनी के व्यापार को लेकर अपनी लड़ाई तेज कर दी है और उसने औपचारिक रूप से विश्व व्यापार संगठन (WTO) से एक समिति का गठन करने का आग्रह किया है. मीडिया की एक रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया है कि आस्ट्रेलिया ने डब्ल्यूटीओ से यह जांच करने का अनुरोध किया है कि भारत कहीं कृषि सब्सिडी संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है.

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आस्ट्रेलिया इस मुद्दे पर मार्च में ब्राजील के साथ आ गया था और उसने डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की थी. आस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत द्वारा चीनी किसानों को लगातार सब्सिडी दी जा रही है. इससे वैश्विक स्तर पर चीनी की भरमार हो गई है और बाजार में इसकी कीमतें नीचे आई हैं. आस्ट्रेलिया ने ब्राजील और ग्वाटेमाला के साथ मिलकर डब्ल्यूटीओ से विवाद निपटान के लिए समिति बनाने को कहा है कि जो इस बात की जांच करे कि भारत द्वारा इस मुद्दे पर प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है.

आस्ट्रेलिया की वित्तीय समीक्षा रिपोर्ट में व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम के हवाले से कहा गया है कि भारत से उसकी चिंताओं को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए हैं और वह अपनी डब्ल्यूटीओ प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए लगातार सब्सिडी दे रहा है. भारत में इस साल चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ज्यादा उत्पादन होने से चीनी मिलों के सामने ये दिक्कत आ गई है कि मिलें अपनी चीनी को एमएसपी पर नहीं बेच पा रही हैं. सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाए जाने के बाद भी चीनी मिलों को घाटा उठाना पड़ रहा है. केंद्र सरकार ने चीनी मिलों की एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था. 

बता दें कि चीनी मिलों की लगातार कमजोर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीनी की एमएसपी 200 रुपये बढ़ाते हुए 2900 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था. अगर कोई चीनी मिल 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से नीचे चीनी बेचती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. देश में इस साल चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन 310 लाख टन हुआ है, जबकि करीब 120 लाख टन पुराना स्टॉक है.