सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) की तरफ से कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (OIC) को अलग-थलग करने की धमकी देने के बाद पाकिस्तान के लिए लोन पर तेल के प्रोविजन को रोक दिया है. अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन साल के लिए 6.2 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज देने का ऐलान किया था. इसमें तीन अरब डॉलर की कैश सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के बदले में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी. IANS की खबर के मुताबिक, एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने सऊदी अरब से लोन लिया था. पाकिस्तान के हालिया बर्ताव के कारण सऊदी ने अपने वित्तीय मदद को वापस ले लिया है.

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पाकिस्तानी मीडिया ने 8 अगस्त को कहा कि इस्लामाबाद के लिए प्रोविजन दो महीने पहले खत्म हो गया है और इसे रियाद द्वारा रिन्यूअल नहीं किया गया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पेट्रोलियम डिवीजन के प्रवक्ता साजिद काजी के हवाले से कहा कि इस्लामाबाद ने समय से चार महीने पहले ही एक अरब डॉलर का सऊदी का लोन लौटा दिया है.

हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टॉक शो के दौरान धमकी दी थी कि अगर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं बुलाई, तो प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सहयोगी इस्लामी देशों के बीच मीटिंग करेंगे, जो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दे सकें.

कुरैशी ने कहा कि मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ ओआईसी से कहना चाहता हूं कि विदेश मंत्रियों की काउंसिल की मीटिंग से हमारी अपेक्षा है. यदि आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की मीटिंग बुलाएं जो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं.

दुनिया में इस्लामी देशों के सबसे बड़े संगठन ओआईसी से पाकिस्तान कई बार गुजारिश कर चुका है कि वह कश्मीर मुद्दे पर एक मीटिंग आयोजित करे, लेकिन संगठन ने हर बार उसकी अपील को दरकिनार किया है. यही वजह है कि पाकिस्तान बौखलाया हुआ है.

दरअसल ओआईसी में किसी भी कदम के लिए सऊदी अरब का साथ सबसे ज्यादा जरूरी होता है. ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है. कश्मीर पर सऊदी अरब के कदम नहीं उठाने से पाकिस्तान की कुंठा बढ़ती ही जा रही है.

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पिछले साल अगस्त में भारत ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों लद्दाख और जम्मू कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर बांट दिया गया. पाकिस्तान भारत के इस कदम का विरोध कर रहा है और इमरान खान सरकार इस मुद्दे पर 57 सदस्यीय ओआईसी का समर्थन मांग रही है.