अमेरिका में एच-1बी वीजा रखने वाले हर चार में से तीन व्यक्ति भारतीय नागरिक हैं. अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) की ‘एच-1बी पेटिशन्स बाई जेंडर एंड कंट्री ऑफ बर्थ फिस्कल ईयर 2018’ रिपोर्ट के मुताबिक, 5 अक्टूबर तक अमेरिका में एच-1 बी वीजा रखने वालों की संख्या 4,19,637 थी. इनमें से 3,09,986 भारतीय मूल के नागरिक हैं.

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एच-1 बी वीजा प्राप्त करने वाले भारतीयों में स्त्री-पुरूष असमानता बहुत अधिक है. विशेष सुविधा वाला यह वीजा रखने वाले 3,09,986 भारतीयों में केवल 63,220 यानी 20 प्रतिशत महिलाएं हैं. वहीं 2,45,517 यानी 79.2 प्रतिशत पुरुष हैं. एच-1बी वीजा रखने वाले 1,249 लोगों को लापता या अन्य की श्रेणी में रखा गया है. 

इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुल एच-1बी वीजा का करीब 73.9 फीसदी भारतीयों के पास है. इसके बाद चीन के लोगों की बारी आती है. उनके पास करीब 11.2 प्रतिशत एच-1बी वीजा हैं. पिछले दिनों अमेरिका में इस वीजा को लेकर काफी विवाद हुआ. 

क्या है एच -1बी वीजा ?

यह वीजा अमेरिका में विदेशी मूल के कर्मचारियों को दिया जाता है. इससे उसे अमेरिका में छह साल तक काम करने की अनुमति मिल जाती है. यूं कहें कि अमेरिका में मौजूद कंपनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो. 

इस वीजा को पाने वाले कर्मचारी की सैलरी कम से कम 60 हजार डॉलर यानी करीब 40 लाख रुपए सालाना होना जरूरी है. एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा समेत 50 से ज्यादा भारतीय आईटी कंपनियां करती हैं. माइक्रोसॉफ्ट और गूगल भी इसका इस्तेमाल करती हैं.

(इनपुट एजेंसी से)