फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग आज से पेरिस में शुरू हो रही है. इसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने पर फैसला लिया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. इस मीटिंग में यह आकलन किया जाएगा कि इस्लामाबाद ने वैश्विक निगरानी के तहत आतंकियों को वित्तीय मदद और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए कदम उठाया है या नहीं, ऐसे में पाकिस्तान की किस्मत अधर में लटकी हुई है. 

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अगर एफएटीफ पाती है कि पाकिस्तान को अक्टूबर तक जो कदम उठाने के लिए कहा गया है, उसमें उसने ढिलाई बरती है तो वह देश को 'ब्लैक लिस्ट' में डाल सकती है, जिसका मतलब यह होगा कि उसे आईएमएफ (IMF) और विश्व बैंक (WORLD BANK) जैसे इंटरनेशनल वित्तीय संस्थानों से कर्ज और सहायता नहीं मिल सकेगी.

आपको बता दें कि पाकिस्तान पहले से ही  'ग्रे लिस्ट' (वॉच लिस्ट) में है. FATF ने आतंकियों को वित्तीय मदद और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए कार्रवाई पूरी करने के लिए उसे अक्टूबर तक का समय दिया है.

आईएएनएस की खबर के मुताबिक, एफएटीएफ में फिलहाल 37 देश और दो रीजनल ऑर्गनाईजेशन शामिल हैं. ये दुनिया भर के अधिकांश प्रमुख फाइनेंशियल सेंटर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसकी रविवार से 18 अक्टूबर तक पेरिस में प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की मीटिंग्स होंगी.

अभी चीन एफाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का अध्यक्ष है. एफएटीएफ की मुख्य बैठक के लिए 23 अगस्त को इसके एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान से नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह आतंक के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवश्यक 40 में से 32 मापदंडों में विफल रहा है.

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पाकिस्तान हालांकि, चीन, मलेशिया और तुर्की की मदद से 'ब्लैक लिस्ट' में आने से बच भी सकता है, लेकिन आतंकवाद से लड़ने के मामले में उसका रिकॉर्ड इसे 'ग्रे लिस्ट' से हटाने में मददगार साबित नहीं होगा.