पेरिस में चल रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में पाकिस्तान (Pakistan) को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखने पर मुहर लगा दी है. ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए गुहार लगा रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए यह बड़ी सदमे वाली खबर है. पाकिस्तान पिछले कई दिनों से चीन समेत तमाम मुस्लिम देशों से उसके समर्थन में मतदान करने की मांग कर रहा था. लेकिन भारत के तर्कों के आगे पाकिस्तान की गुहार टिक नहीं पाई. 

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जानकारी मिली है कि टेरर फंडिंग (terror funding) को लेकर कटघरे में खड़े पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने की मांग का उसके ही मित्र देशों ने समर्थन किया है. हालांकि तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान का समर्थन किया था.

एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान से धनशोधन और आतंक वित्तपोषण के दोषियों को कठघरे में लाने के लिए कानूनों को और कसने की मांग की है. साथ ही यह भी कड़े शब्दों में कहा गया है कि अगर वह आतंकवादियों की मदद करना बंद नहीं करेगा तो उसके खिलाफ पाबंदियां और सख्त कर दी जाएंगी. 

हालांकि बैठक से पहले पाकिस्तान की कोर्ट ने इंटरनेशनल आतंकी हाफिज सईद को कैद की सजा सुनाई थी. इस फैसले को पाकिस्तान ने एफएटीएफ के समक्ष भी रखा था. पाकिस्तान ने बताया कि हाफिज सईद को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों में साढ़े पांच-साढ़े पांच साल की सजा सुनाई गई है. दोनों सजाएं साथ चलेंगी.

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पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक इस सजा से साबित होता है कि देश का न्यायिक तंत्र स्वतंत्र है और कोर्ट हर केस के गुण-दोष के मुताबिक फैसले सुनाती है.