World Malaria Day 2024: हर साल 25 अप्रैल को विश्‍व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. ये एक ऐसी बीमारी है जो मच्‍छरों से इंसानों में फैलती है. मलेरिया के मरीज दुनियाभर में मिलते हैं. भारत में तो करीब-करीब पूरे साल मच्‍छरों का प्रकोप रहता है, ऐसे में मलेरिया होने का रिस्‍क भी बना रहता है. मलेरिया की बीमारी को आप बेशक बहुत सामान्‍य तरीके से लेते हों, लेकिन अगर इसका सही समय पर सही इलाज न किया जाए तो इसके लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं और बीमारी को जानलेवा भी बना सकते हैं. 

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इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्‍व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. हर साल इसकी एक थीम निर्धारित की जाती है. साल 2024 की थीम है-  'Accelerating the fight against Malaria for a more equitable world जिसका मतलब है मलेरिया के खिलाफ जारी लड़ाई में तेजी लाना है. आइए आज इस मौके पर आपको बताते हैं इस बीमारी से जुड़ी खास बातें.

कैसे होता है मलेरिया

WHO के मुताबिक मलेरिया की बीमारी ज्‍यादातर मामलों में संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में होती है. संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने के कारण इंसान के खून में प्लॅस्मोडियम वीवेक्स वायरस संचारित होता है. ये वायरस ही मलेरिया रोग की वजह बनता है. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो वायरस लिवर तक पहुंचकर समस्‍या को गंभीर कर सकता है. इसके अलावा केवल वही मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार संचारित कर सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो. कुछ मामलोंं में दूषित रक्‍त चढ़ाने और दूषित सुई के कारण भी मलेरिया हो सकता है.

मलेरिया के लक्षण

डब्‍ल्‍यूएचओ के मुताबिक मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 10-15 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं. इसके शुरुआती लक्षण कंपकंपी वाली ठंड लगना, तेज बुखार और सिरदर्द को माना जाता है. इसके अलावा शरीर में दर्द, जी मिचलाना, उल्‍टी होना, पसीना आना आदि भी हो सकते हैं. वहीं अगर ये समस्‍या गंभीर हो जाए तो सांस लेने में दिक्‍कत, आंखों और त्‍वचा में पीलापन, अत्‍यधिक थकान और कमजोरी, यूरिन में ब्‍लड आना, असामान्‍य रक्‍तस्राव, याद्दाश्‍त में दिक्‍कत आदि हो सकते हैं. 

अगर मलेरिया के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान कर मरीज को सही इलाज दे दिया जाए तो उसकी बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है. मलेरिया के गंभीर लक्षण जानलेवा हो जाते हैं. ऐसे में मरीज को फौरन इमरजेंसी में ले जाना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान मलेरिया का संक्रमण भी समय से पहले प्रसव या कम जन्म वजन वाले बच्चे की डिलीवरी का कारण बन सकता है.

क्‍या है बचाव का तरीका

  • मच्छर-दानी लगाकर सोएं और ध्यान रखें कि आसपास सफाई रखें.
  • घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें और मॉस्‍कीटो रिपेलेंट मशीनों का इस्तेमाल करें.
  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाकर रखें.
  • कमरे में एसी और पंखों का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें.
  • पूरी बाजू के कपड़े पहनें, ताकि आपके शरीर के अंग ज्‍यादा खुले न रहें. 
  • उन जगहों पर जानें से बचें जहां झाड़ियां हों या जहां पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहां मच्छर पनपने का खतरा ज्‍यादा होता है.