100, 200 और 500 के जिन नोटों को आप अपनी जेब में रखकर चलते हैं, उन्‍हें अक्‍सर लोग कागज से बना हुआ मानते हैं. लेकिन कागज इतना मजबूत नहीं होता जितना नोट होता है. नोट को आप सालोंसाल चलाते हैं, गीले होने पर नोट को फिर से सुखाकर इस्‍तेमाल कर सकते हैं, गीले होने के बाद ये गलता नहीं है, जबकि सामान्‍य कागज भीगने के बाद बहुत आसानी से गल जाता है. इन नोटों को कॉटन से बनाया जाता है. आज World Cotton Day पर आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

क्‍यों कपास का किया जाता है इस्‍तेमाल?

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नोट को कागज के बजाए कपास से बनाता है. RBI ने अपने अधिकारिक वेबसाइट पर बताया है कि नोट बनाने के लिए 100 फीसदी कपास यानी रूई (Cotton) का इस्तेमाल होता है. अगर इन नोटों को सामान्‍य कागजों से बनाया जाए, तो इनकी उम्र कभी इतनी लंबी नहीं हो पाएगी. कागज के मुकाबले कपास का नोट अधिक टिकाऊ होता है. भारत ही नहीं, अन्य कई देश भी अपने नोट को बनाने के लिए कपास का इस्तेमाल करते हैं. छूने में यह बिल्कुल कागज जैसे ही लगते हैं, लेकिन कागज होते नहीं हैं.

कैसे बनाया जाता है नोट

कपास के रेशे में एक फाइबर पाया जाता है, जिसे लेनिन कहा जाता है. नोट इसी की सहायता से बनाए जाते हैं. नोट बनाते समय कपास के रेशों के साथ-साथ गैटलिन और Adhesive Solution को भी मिलाया जाता है, जिससे नोट की उम्र बढ़ जाती है. नोट बनाने के लिए कॉटन पेपर में से कुछ का उत्‍पादन महाराष्ट्र की करेंसी नोट प्रेस और बाकी का प्रोडक्‍शन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में होता है. कुछ पेपर आयात भी किया जाता है. नोट को जिस कॉटन पेपर से तैयार किया जाता है, उसे रैग पेपर या रैग स्टॉक पेपर के नाम से भी जाना जाता है.

सिक्योरिटी फीचर का भी इस्तेमाल 

इन नोट को बनाते समय कॉटन से बने कागज में विशेष प्रकार की स्‍याही का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसके अलावा नोट को छापते समय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इनमें कई तरह के सिक्योरिटी फीचर का भी इस्तेमाल करता है, जिसके चलते इन नोटों की नकल करके हुबहु नोट बना पाना मुमकिन नहीं होता. यही वजह है कि लोग नकली और असली नोटों में आसानी से पहचान कर पाते हैं.

एक ही नंबर के दो नोट हो सकते हैं?

इसके अलावा कई बार मन में ये सवाल भी उठता है कि क्‍या दो या अधिक बैंक नोटों के नंबर्स में समानता हो सकती है. तो इसका जवाब है हां. आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक दो या इससे अधिक बैंक नोट के सरल क्रमांक समान हो सकते हैं, लेकिन या तो वे अलग इनसेट लेटर या अलग मुद्रण वर्ष या भारतीय रिज़र्व बैंक के अलग गवर्नर के हस्ताक्षर वाले होंगे. इनसेट लेटर एक अक्षर होता है जो बैंकनोट के संख्या पैनल पर मुद्रित होता है. नोट बिना किसी इनसेट लेटर के भी हो सकते हैं.

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