UAE announces mid day work ban: उत्तर से लेकर मध्य और दक्षिण भारत के कई राज्यों में इन दिनों प्रचंड गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जून के महीने में गर्मी की वजह से यूपी में 55 और बिहार में 44 लोगों की मौत हो गई है. गर्मी की वजह से हर साल लोगों की जान इसी तरह जाती है. लेकिन UAE ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया है. तो चलिए जानते हैं क्या है समस्या का समाधान 12 से 3 बजे तक बाहर काम करने पर रोक UAE ने जानलेवा गर्मी से बचने के लिए दोपहर साढ़े 12 से 3 बजे तक बाहर काम करने पर रोक लगा दी है. ये रोक 15 जून से लागू कर दी गई और 30 सितंबर तक जारी रहेगी. इस नियम को न मानने वाले मालिक से प्रति कर्मचारी 5 हज़ार दिरम का जुर्माना वसूला जाएगा. भारतीय रुपए के हिसाब से ये राशि है 1 लाख 11 हज़ार रुपए. यूएई ऐसा पिछले 19 वर्षों से कर रहा है.   क्या भारत में भी लग सकती है रोक अब सवाल ये है कि भारत में क्या ऐसा किया जा सकता है. इस सवाल पर बहुत से लोग कहेंगे कि गरीब आदमी काम नहीं करेगा तो खाएगा कहां से. हो सकता है कुछ लोग मानवाधिकारों के नाम पर इस नियम को भारत में लागू होने की बात कहें, सच ये है कि भारत में अभी ऐसी सोच दूर दूर तक नजर नहीं आती. हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि भारत में मानवाधिकारों को यूएई से कम महत्व दिया जाता है लेकिन भारत में दूरदर्शी सोच का अभाव जरूर दिखाई देता है. ये है पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे का कहना पीरीयोडिक लेबर फोर्स सर्वे PLFS के मुताबिक, भारत में औसतन 49% लोग बाहर यानी खुले आसमान के नीचे रोजाना काम करते गर्मी में बाहर खुले आसमान में काम करने वाले कामगारों की सेहत, काम करने की क्षमता दोनों ही प्रभावित हो जाते हैं. ये है World Bank की रिपोर्ट World Bank की पिछले वर्ष नवंबर को जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2030 तक तेज़ गर्मी यानी हीटवेव की वजह से 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना काम छोड़ना पड़ जाएगा और 200 मिलियन यानी 20 करोड़ लोग गर्मी से बुरी तरह प्रभावित होंगे. खेती और मजदूरी के काम में लगे लोगों पर इसका सबसे बुरा असर होगा. गर्मी में काम करने के घंटे में कमी गर्मी में पसीने और घबराहट की वजह से काम करने की क्षमता कम हो जाती है. इसके साथ ही काम करने के घंटे भी कम हो जाते हैं. लगातार धूप में काम करने से इंसान के शरीर का औसत तापमान बढ़ जाता है. जिसकी वजह से पेट खराब होता है और लंबे समय तक धूप में काम करने से दिमाग पर भी बुरा असर होने का खतरा रहता है. ये है इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की 2019 की रिपोर्ट इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की 2019 की रिपोर्ट - वर्किंग ऑन ए वार्मर प्लेनेट - द इम्पैक्ट ऑफ़ हीट स्ट्रेस ऑन लेबर प्रोडक्टिविटी एंड डिसेंट वर्क में चेतावनी दी गई है कि भारत में हीट स्ट्रेस के कारण 2030 में 5.8 प्रतिशत काम के घंटे कम होने की उम्मीद है. भीषण गर्मी के कारण 2021 में भारत में 167.2 अरब घंटे के काम का नुकसान हुआ, इसकी वजह से जो नुकसान हुआ वो देश की 5.4% जीडीपी के बराबर है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान बढ़ रहा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 1901 और 2018 के बीच भारत में औसत तापमान में लगभग 0.7% की वृद्धि हुई है यानी लगभग एक प्रतिशत तापमान भारत में बढ़ चुका है. मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में साल 2000-2004 और 2017 से 2021 के बीच तेज़ गर्मी के कारण मौतों में 55% का इजाफा देखा गया. 90 प्रतिशत लोग भारत में कामगार भारत में कामगार वर्ग यानी लेबर फोर्स कुल 90 प्रतिशत है यानी भारत में जितने लोग पैसा कमा रहे हैं उनमें से 90 प्रतिशत नौकरी करते हैं . उस 90 प्रतिशत में से 49 प्रतिशत यानी आधे से भी ज्यादा लोग बाहर काम करते हैं. उसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा किसान है और बाकी छोटे मोटे काम करने वाला तबका. ये काम ना करें तो रोज की रोटी का संकट पैदा हो जाता है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अगर ये इसी तरह गर्मी में खुली धूप में लगभग अमानवीय हालात में काम करते रहे तो देश की आर्थिक हालत पर संकट आ सकता है. स्ट्रेस के कारण काम के घंटे होगे कम इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की 2019 की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2030 तक दुनियाभर में इसकी वजह से काम करने के कुछ घंटों में से 2.2 फीसदी उत्पादक क्षमता में कमी आ जाएगी, जो करीब 80 मिलियन फुल टाइम नौकरी के उत्पादक घंटे जितनी है. भारत में हीट स्ट्रेस के कारण 2030 में 5.8 प्रतिशत काम के घंटे कम होने की उम्मीद है. यानी आज लोग जितना काम कर पा रहे हैं इसमें हर साल लगभग एक प्रतिशत की कमी आ जाएगी. इसी रिपोर्ट के मुताबिक भीषण गर्मी के कारण 2021 में भारत में 167.2 अरब घंटों के काम का नुकसान हुआ, इसकी वजह से जो नुकसान हुआ वो देश की 5.4% जीडीपी के बराबर है. इंसान की जान पर मंडरा रहा खतरा पर्यावरण पर नजर रखने वाली (The Earth commission ) द अर्थ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक climate change की वजह से अब इंसान की जान पर खतरा मंडरा रहा है. इस रिपोर्ट में आंकलन किया गया है कि  अगर दुनिया का तापमान बढ़ता रहा, तो सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा. इस शोध के मुताबिक तापमान में  2.7 डिग्री की बढ़ोतरी का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा. औसत तापमान 29 डिग्री माना जाता है इसमें अगर 1.5 डिग्री की बढ़त हो तो बुरे असर 6 गुना कम होंगे. लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा. दुनिया में अगर तापमान की औसत बढ़त 1 डिग्री सेल्सियस है तो भारत में ये 1.2 डिग्री सेल्सियस मापी गई है. आने वाले समय में इस वजह से 9 करोड़ भारतीय बढ़ती गर्मी और लू का प्रकोप झेलने को मजबूर होंगे. लू से हर साल कई लोगों की होती है मौत एक साधारण मानव शरीर का तापमान 98.6 डिग्री Fahrenheit होता है जो 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है. इससे ऊपर का टेंपरेचर बुखार कहा जाता है. लू के थपेड़े अगर बार बार शरीर पर पड़े, तो यह हाइपरथर्मिया की वजह बन जाता है. यह जानलेवा भी हो सकता है. आमतौर पर यह माना जाता है कि मनुष्य जिस अधिकतम तापमान पर जीवित रह सकता है वह 108.14 डिग्री Fahrenheit या 42.3 डिग्री सेल्सियस है. लेकिन दिल्ली में तापमान हर वर्ष 45 डिग्री को पार करता है. भारत में कई जगहों पर तापमान 49-50 डिग्री के बीच भी चला जाता है. ऐसे में बाहर काम करने वाले लोगों की सेहत का नुकसान और भारत को होने वाले आर्थिक नुकसान को देखते हुए यूएई की तर्ज पर कड़े नियम लाने की जरूरत है. हीट वेव से बचने के लिए पानी खूब पिएं

  • सूती कपड़े पहने
  • कैप पहनकर बाहर जाए
  • नींबू पानी पिए  
  • तेज़ गर्मी के घंटों में बाहर न निकलें