Hoysal Temple UNESCO World Heritage List: कर्नाटक के ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया है. यह निर्णय सऊदी अरब के रियाद में जारी विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया. ये भारत की ये 42वीं यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल शांति निकेतन को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था. होयसल के पवित्र मंदिर समूह साल 2022 के लिए भारत की तरफ से विशाल मंदिरों को यूनेस्को में शामिल करने के लिए मनोनीत किया गया था.  यूनेस्को की सूची में शामिल होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है.

Hoysal Temple UNESCO World Heritage List: कर्नाटक के तीन जगहों पर स्थित मंदिर का समूह  

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होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ यूनेस्को की संभावित सूची में अप्रैल, 2014 से ही शामिल थे. होसयल के पवित्र मंदिर समूह बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा में स्थित है. होयसल राजवंश की यह कभी राजधानी थी. इस राजवंश को कला और साहित्य के संरक्षक माना जाता है. इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI करता है. भगवान शिव को समर्पित होयसल मंदिर का निर्माण 1150 ईस्वी में होयसल राजा द्वारा काले शिष्ट पत्थर से बनवाया गया था. मंदिर में हिंदू धर्म से संबंधित देवी देवताओं के चित्रों, मूर्तियों को उकेरा गया है.     

Hoysal Temple UNESCO World Heritage List: नरसिम्हा III की देखरेख में निर्माण

कर्नाटक के सोमनाथपुरा में चेन्नेकेशवा मंदिर नरसिम्हा III की देखरेख में 1268 ईस्वी के आसपास बनाया गया था.  कर्नाटक के हसन जिले के बेलूर में केशव मंदिर विष्णुवर्धन द्वारा निर्मित किया गया है. इन मंदिरों की शैली न ही पूरी तरह से द्रविड़ और न ही पूरी तरह से नागर है. ऐसे में इसकी अनूठी शैली में निर्माण किया गया है. केशव मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, संगीतकारों को उकेरा गया है. यूनेस्को ने X पर कहा,‘भारत में कर्नाटक के ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. बधाई.'

PM Modi Tweet: पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई 

पीएम नरेंद्र मोदी ने X पर पोस्ट कहा, ‘‘भारत के लिए और भी गौरव की बात. होयसल के शानदार पवित्र मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. होयसल मंदिरों की शाश्वत सुंदरता भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण है.’’

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यूनेस्को की घोषणा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘‘एक और अच्छी खबर आ रही है। हमारी पारंपरिक कला और वास्तुकला के लिए एक और मान्यता.’