छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में सबसे छोटे प्रजाति का हिरण मिला है. हिरण की ये दुर्लभ प्रजाति है. इसे माउस डियर (Mouse Deer) के नाम से जाना जाता है.  भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह में से एक है. माउस डियर बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है.  देखने में ये चूहा, सुअर और हिरण का मिला-जुला रूप मालूम पड़ता है.

ये है वैज्ञानिक नाम

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माउस डियर का वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका (Mosechiola indica) है. ये खासतौर पर घने झाड़ियों वाले, नमी वाले जंगलों में होते हैं. भारत में इससे पहले माउस डियर प्रजाति का एक हिरण बैलाडीला की पहाड़ियों में मिला था.इसकी लंबाई करीब 575 सेंटीमीटर और वजन 3 किग्रा के आसपास होता है. 

सबसे छोटी प्रजाति का हिरण

माउस डियर खासतौर पर दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के वनों में देखा गया है. माउस डियर विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है. ये शर्मीला जीव माना जाता है और रात के समय बाहर निकलता है, इसलिए बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलता है. जंगलों में भी इस जीव को देख पाना आसान नहीं. 

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में जानें

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी के नाम पर रखा गया है. ये छत्तीसगढ के जगदलपुर जिले से करीब 27 किमी की दूरी पर स्थित है और 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. कांगेर घाटी में छत्तीसगढ़ के खूबसूरत झरने और गुफाएं है जो पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. इस राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार की वन प्रजातियां मिलती है. हर साल यहां तमाम सैलानी घूमने के लिए आते हैं.

 

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