राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अयोध्या धाम में श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने पीएम मोदी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान के लिए धन्यवाद कहा है. इसके साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि सौभाग्य से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान देखने का मौका मिला.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अयोध्या धाम में श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने पीएम मोदी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान के लिए धन्यवाद कहा है.

11 दिवसीय कठिन अनुष्ठान होगा पूरा

आदरणीय श्री नरेंद्र भाई मोदी जी, अयोध्या धाम में नए मंदिर में प्रभु श्री राम की जन्म-स्थली पर स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आप विधिवत तपश्चर्या कर रहे हैं.  इस अवसर पर, मेरा ध्यान इस महत्वपूर्ण तथ्य पर है कि उस पावन परिसर में, आपके द्वारा सम्पन्न की जाने वाली अर्चना से हमारी अद्वितीय सभ्यतागत यात्रा का एक ऐतिहासिक चरण पूरा होगा. आपके द्वारा किया गया 11 दिवसीय कठिन अनुष्ठान, पवित्र धार्मिक पद्धतियों का अनुसरण मात्र नहीं है बल्कि त्याग की भावना से प्रेरित सर्वोच्च आध्यात्मिक कृत्य है और प्रभु श्री राम के प्रति सम्पूर्ण समर्पण का आदर्श है.

सौभाग्य से मिला राम मंदिर प्रतिष्ठान देखने का मौका

राष्ट्रपति ने लिखा- आपकी अयोध्या धाम की यात्रा के इस पावन अवसर पर मैं आपको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं. अयोध्या धाम में प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के उद्घाटन से जुड़े देशव्यापी उत्सवों के वातावरण में, भारत की चिरंतन आत्मा की उन्मुक्त अभिव्यक्ति दिखाई देती है. यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सब अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान के एक नए काल-चक्र के शुभारम्भ के साक्षी बन रहे हैं.

राम-कथा के आदर्शों से राष्ट्र-निर्माताओं को मिली प्रेरणा

राष्ट्रपति ने आगे लिखा- प्रभु श्री राम द्वारा साहस, करुणा और अटूट कर्तव्यनिष्ठा जैसे जिन सार्वभौमिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई थी उन्हें इस भव्य मंदिर के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जा सकेगा. प्रभु श्री राम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक हैं। वे बुराई के विरुद्ध निरंतर युद्धरत अच्छाई का आदर्श प्रस्तुत करते हैं. हमारे राष्ट्रीय इतिहास के अनेक अध्याय, प्रभु श्री राम के जीवन चरित और सिद्धांतों से प्रभावित रहे हैं और राम-कथा के आदर्शों से राष्ट्र-निर्माताओं को प्रेरणा मिली है.

'कठिन दौर में राम का नाम ही मेरा रक्षक रहा'

गांधीजी ने बचपन से ही रामनाम का आश्रय लिया और उनकी अंतिम सांस तक रामनाम उनकी जिह्वा पर रहा. गांधी जी ने कहा था 'यद्यपि मेरी बुद्धि और हृदय ने, बहुत पहले ही, ईश्वर के सर्वोच्च गुण और नाम को, सत्य के रूप में अनुभव कर लिया था, मैं सत्य को राम के नाम से ही पहचानता हूं. मेरी अग्नि परीक्षा के सबसे कठिन दौर में राम का नाम ही मेरा रक्षक रहा है और अब भी वह नाम ही मेरी रक्षा कर रहा है'. लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से प्रभावित हुए बिना, भेदभाव से मुक्त रहकर, हर किसी के साथ, प्रेम और सम्मान का व्यवहार करने के प्रभु श्री राम के आदर्शों का हमारे पथ- प्रदर्शक विचारकों की बौद्धिक चेतना पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है.

न्याय और जनकल्याण पर दिया गया ध्यान

न्याय और जन-कल्याण पर केन्द्रित प्रभु श्री राम की रीति का प्रभाव, हमारे देश के शासन संबंधी वर्तमान दृष्टिकोण पर भी दिखाई देता है. इसका उदाहरण, हाल ही में, आपके द्वारा, अति पिछड़े जनजातीय समुदायों के कल्याण हेतु 'पीएम- जन मन' पहल के तहत, अनेक लाभकारी सहायताओं की पहली किस्त जारी करने में स्पष्ट दिखाई दिया. आपके द्वारा अपने संबोधन में माता शबरी का उल्लेख करने से एक हृदयस्पर्शी अनुभूति हुई. निश्चय ही, प्रभु श्री राम के मंदिर के साथ-साथ, जन-कल्याण कार्यों को देखकर माता शबरी को दोहरा संतोष प्राप्त होगा.

'जीवन में सुख और शांति का संचार करें'

प्रभु श्री राम, हमारी भारत-भूमि के सर्वोत्तम आयामों का प्रतीक हैं. वस्तुत: वे पूरी मानवता के सर्वोत्कृष्ट पक्षों के प्रतीक हैं. मेरी प्रार्थना है कि प्रभु श्री राम विश्व-समुदाय को सही मार्ग पर ले जाएं; वे सभी के जीवन में सुख और शांति का संचार करें. सियावर रामचन्द्र की जय !