पिछले कुछ समय से दिल्‍ली में प्रदूषण के हालात अत्‍यंत गंभीर स्‍तर पर पहुंचे हैं. AQI का स्‍तर 500 के करीब तक पहुंचा है. प्रदूषण सीधेतौर पर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है. इस दौरान हवा में मौजूद खतरनाक रसायन और गैस जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि सांस लेते समय हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं. इनके कारण व्‍यक्ति को अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और सांस से संबन्धित तमाम अन्‍य समस्‍याएं परेशान करती हैं. 

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जिन लोगों को पहले से सांस से जुड़ी समस्‍याएं हैं, उनके लिए परेशानी और बढ़ जाती है. हालांकि SAFAR के अनुसार सोमवार को दिल्‍ली में बारिश होने से हवा की क्‍वालिटी में थोड़ा सा सुधार हुआ है और हवा का स्‍तर गंभीर की बजाय 'खराब' श्रेणी में पहुंचा है. लेकिन फिर भी प्रदूषण के इस माहौल में अपनी सुरक्षा का खयाल रखते हुए आपको कुछ जरूरी टेस्‍ट समय-समय पर जरूर कराते रहने चाहिए. यहां डॉ. रमाकान्‍त शर्मा से जानिए इसके बारे में-

Blood pressure 

पॉल्‍यूशन बढ़ने के कारण सांस लेने में समस्‍या आती है और इसके कारण तमाम लोगों में ब्‍लड प्रेशर से जुड़ी समस्‍याएं देखने को मिलती हैं. इसलिए समय-समय पर बीपी से जुड़ी जांचें करवाते रहना बेहद जरूरी है. साथ ही ऑक्‍सीमीटर की मदद से शरीर में ऑक्‍सीजन की जांच भी कर सकते हैं क्‍योंकि शरीर में ऑक्‍सीजन का स्‍तर बिगड़ने से हार्ट और ब्रेन से जुड़ी तमाम गंभीर बीमारियां भी परेशान कर सकती हैं.

Lung Function Tests

प्रदूषण सीधेतौर पर आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है क्‍योंकि सांस के जरिए दूषित हवा सबसे पहले आपके फेफड़ों में ही पहुंचती है. ऐसे में स्‍पायरोमेट्री के जरिए फेफड़ों के फंक्‍शन से जुड़ी जांच करवा सकते हैं. ये जांच फेफड़ों की क्षमता को जांचने का काम करती है और सीओपीडी और सांस से जुड़ी अन्‍य बीमारियों की निगरानी के लिए उपयोगी है.

Chest X-ray

फेफड़ों की जांच के लिए छाती का एक्स-रे करवा सकते हैं. इससे आपको फेफड़ों की सेहत से जुड़ी तमाम स्थितियों का पता चल जाएगा. अगर जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ की सलाह से एमआरआई वगैरह भी कराया जा सकता है. 

Blood Tests

लिवर और किडनी शरीर को डिटॉक्‍सीफाई करने में मदद करते हैं. ऐसे में एयर पॉल्‍यूशन के कारण इन्‍हें भी नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है. लिवर को किसी तरह का नुकसान तो नहीं पहुंचा है, ये जानने के लिए ALT, GGT, AST, TBL और ALP जैसे ब्‍लड टेस्‍ट करवाए जा सकते हैं.

Complete Urine Examination

लिवर के साथ किडनी की सेहत के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है. किडनी फंक्‍शन को जांचने के लिए यूरिन एल्ब्यूमिन जैसे टेस्‍ट उपयोगी साबित हो सकते हैं. इनके जरिए किडनी की कार्यक्षमता को जांचा जा सकता है.

Sputum Examination

Sputum Examination में माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग के माध्यम से संक्रमण की पहचान करने में मदद मिलती है और थूक में मौजूद कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने में मदद मिलती है.

Bronchoscopy

सांस नली की समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है. अगर एक्स-रे या सीटी स्कैन के दौरान छाती, लिम्फनोड या फेफड़ों में कोई तकलीफ पाई गई हो, तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या टिश्यूज के सैंपल निकालने के लिए भी ब्रॉन्कोस्कोपी की जाती है. हालांकि ये टेस्‍ट विशेषज्ञ की सलाह से ही कराया जाना चाहिए.