दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले कई दिनों से काफी खराब है. बृहस्पतिवार को भी ये बहुत खराब और गंभीर श्रेणी के बीच रही. ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषक कणों का बिखराव नहीं हो पाया. लेकिन अगर प्रदूषण के ये हालात अब भी नहीं संभलते हैं तो दिल्‍लीवालों को इसका बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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दिल्‍ली में लगातार प्रदूषण के गंभीर हालातों को देखते हुए स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है. लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं. इसके अलावा हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है.

12 वर्ष तक आयु कम कर रहा प्रदूषण

दिल्‍ली में प्रदूषण को लेकर अगस्‍त में एक स्‍टडी की गई थी, जिसमें बताया गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की उम्र लगभग 12 साल कम कर रहा है. ये स्‍टडी शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा की गई थी. इस रिसर्च में भारत को दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक बताया गया था. साथ ही देश की राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में सबसे ऊपर बताई गई थी. वहीं लेंसेट की एक स्टडी के मुताबिक दुनियाभर के 16% लोगों की मौत प्रदूषण के चलते समय से पहले ही हो जाती है. इस स्टडी में ये भी बताया गया है कि दुनियाभर में हर साल करीब 90 लाख लोगों की मौत का कारण पॉल्यूशन होता है. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक एयर पॉल्यूशन को ही बताया गया है.

अभी कुछ दिन नहीं मिलेगी राहत

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि हवा नहीं चलने और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व हवा में बने हुये हैं और अगले कुछ दिन तक भी राहत के आसार नहीं हैं. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बृहस्पतिवार को सुबह नौ बजे 393 रहा. इसका 24 घंटे की अवधि का औसत एक्यूआई बुधवार शाम 4 बजे 401 दर्ज किया गया था. मंगलवार को यह 397 था. सोमवार को यह 358 और रविवार को 218, शनिवार को 220, शुक्रवार को 279 था। पड़ोसी गाजियाबाद (358), गुरुग्राम (325), ग्रेटर नोएडा (343), नोएडा (337) और फरीदाबाद (409) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच 'गंभीर' और 450 से ऊपर 'अत्यधिक गंभीर' माना जाता है.

वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान

दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान-कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के हालिया निष्कर्षों से पता चला है कि बुधवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान लगभग 38 प्रतिशत था.  बृहस्पतिवार को यह आंकड़ा 40 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है. माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल- सल्फेट और नाइट्रेट जैसे कण जो बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और वाहनों जैसे स्रोतों से गैसों और कण प्रदूषकों की परस्पर क्रिया के कारण वायुमंडल में बनते हैं- दिल्ली की हवा में प्रदूषण के दूसरे प्रमुख योगदानकर्ता हैं. पिछले कुछ दिनों में शहर के प्रदूषण में माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल का योगदान 30 से 35 प्रतिशत रहा है.

लगातार गिर रही है दिल्ली की वायु गुणवत्ता 

राज्य सरकार द्वारा निर्माण कार्य और शहर में डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाए जाने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है. प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के योगदान की पहचान करने के लिए पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक प्रणाली के अनुसार, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत थी. बृहस्पतिवार को इसके 11 फीसदी और शुक्रवार को चार प्रतिशत रहने का अनुमान है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना का अंतिम चरण, जिसे क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) कहते हैं, अगले आदेश तक जारी रहेगा. इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाए गए हैं. 

दिल्‍ली सरकार ने टाल दी थी सम-विषम व्‍यवस्‍था

इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि अगर एक्यूआई 400 का आंकड़ा पार करता है तो दिल्ली सरकार वाहनों के परिचालन को सीमित करने से संबंधित सम-विषम योजना लागू कर सकती है. शुक्रवार को बारिश के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के बाद सरकार ने पिछले सप्ताह सम-विषम योजना के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया था. योजना के तहत कारों को उनके पंजीकरण संख्या के विषम या सम अंतिम अंक के आधार पर वैकल्पिक दिनों में संचालित करने की अनुमति दी जाती है.

15 नवंबर तक चरम पर होता है प्रदूषण

वाहन उत्सर्जन, धान-पुआल जलाने, पटाखे और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है. बुधवार को पंजाब में पराली जलाने की 2,544 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 15 सितंबर के बाद से इस तरह की घटनाओं की संख्या 30,661 हो गई है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता दुनिया के राजधानी शहरों में सबसे खराब है.

इनपुट: भाषा से