अविश्‍वास प्रस्‍ताव (No Confidence Motion) पर चर्चा का आज तीसरा दिन है. आज पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी लोकसभा में मौजूद रहेंगे और अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर हुई चर्चा का जवाब देंगे. पीएम नरेंद्र मोदी शाम 4 बजे संसद में अपना पक्ष रखेंगे. इसको लेकर पीएमओ ने ट्वीट के जरिए लोगों को जानकारी भी दी है. प्रधानमंत्री के जवाब के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की जाएगी. बता दें मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष ने 26 जुलाई को पेश किया था, जिसे लोकसभा स्‍पीकर ओम बिरला ने स्‍वीकार कर लिया था. 8 से 10 अगस्‍त तक इस पर चर्चा की जानी थी. आज इस प्रस्‍ताव पर चर्चा का आखिरी दिन है.

बुधवार को चला वार-पलटवार का सिलसिला

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8 अगस्‍त को अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस की शुरुआत गौरव गोगोई ने की थी, इसके बाद सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया. बुधवार को कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा तो सत्ता पक्ष की ओर से अमित शाह और स्मृति इरानी ने कांग्रेस पर पलटवार किया. आज इस चर्चा का आखिरी दिन है. आज पीएम मोदी चर्चा के दौरान उठे मुद्दों का जवाब देंगे. आखिर में सदन के लोग मतदान करेंगे. हालांकि सरकार को वोटिंग से कोई खतरा नहीं है क्‍योंकि भाजपा और उसके सहयोगियों को मिलाकर सरकार के पास पूर्ण बहुमत है.

क्‍या है अविश्‍वास प्रस्‍ताव

भारत के संविधान में अविश्‍वास प्रस्‍ताव का कोई जिक्र नहीं किया गया है. लेकिन आर्टिकल-75 के अनुसार प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है. चूंकि लोकसभा में जनप्रतिनिधि बैठते हैं, ऐसे में सरकार के पास सदन का विश्‍वास होना बहुत जरूरी है यानी कोई भी सरकार तभी सत्‍ता में रह सकती है, जब लोकसभा में उसके पास बहुमत हो. इसी को आधार बनाकर लोकसभा के रूल 198 में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया गया है. अविश्‍वास प्रस्‍ताव एक तरीके से सरकार के पास सदन में बहुमत है या नहीं, इसे जांचने का तरीका है. 

कब लाया जाता है और क्‍या है प्रक्रिया

जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है, तो विपक्ष या कोई सांसद सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला सकता है. लेकिन इसकी शर्त ये है कि प्रस्‍ताव पर 50 सांसदों का समर्थन होना चाहिए. अविश्‍वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष को इसकी लिखित सूचना देनी होती है. इसके बाद स्पीकर इसकी जांच करते हैं और स्‍वीकार करने के बाद सभी दलों के साथ बैठकर इसकी चर्चा की तारीख और समय निर्धारित करते हैं. 

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