राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने स्‍टूडेंट्स की मेंटल हेल्‍थ को लेकर एक सर्वे करने के बाद चौंकाने वाला खुलासा किया है. सर्वे के अनुसार पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्‍ट को छात्रों के तनाव का प्रमुख कारण बताया है. एनसीईआरटी ने इस सर्वे में 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 3.79 लाख छात्रों को में शामिल किया और पाया गया कि 81 प्रतिशत छात्रों ने पढ़ाई, परीक्षा और परिणामों को चिंता का प्रमुख कारण बताया. 

73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट 

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एनसीईआरटी की मनोदर्पण इकाई को इस सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी. इस सर्वेक्षण के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए. जनवरी से मार्च 2022 के बीच हुए इस सर्वे में मध्य स्तर (छठी से आठवीं) और माध्यमिक स्तर (नौवीं से 12वीं कक्षा तक) के छात्र-छात्रों को शामिल किया गया. सर्वे के अनुसार, 73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं, जबकि 45 फीसदी शारीरिक छवि को लेकर तनाव में हैं.

सेकंडरी स्तर पर पहुंचने के बाद बढ़ी चुनौतियां

सर्वे में बताया गया है कि स्‍टूडेंट्स जब मध्य कक्षा से सेकंडरी कक्षा में गए, तो पर्सनल और स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट पाई गई. वहीं सेकंडरी स्तर पर पहुंचने के बाद छात्रों में पहचान के संकट, रिश्तों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, समकक्षों के दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में प्रवेश को लेकर चिंता और अनिश्चितता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं.

51 फीसदी को ऑनलाइन पढ़ाई में संकट

सर्वे के दौरान स्‍टूडेंट्स की पहचान को पूरी तरह से गोपनीय रखने का भरोसा दिलाया गया, ताकि वो अपनी मन की स्थिति को साफ तौर पर सामने रख सकें. सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जबकि 28 प्रतिशत छात्रों को प्रश्न पूछने में झिझक होती है.

सर्वे में शामिल कुल बच्‍चों में से 43 फीसदी ने बताया कि बदलाव को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं. सर्वे में बताया गया कि छात्र इस तनाव से निपटने में जो तरीके आजमाते हैं, उसमें योग और ध्‍यान के अलावा सोचने के तरीके में बदलाव और जर्नल्‍स में लिखना प्रमुख है.

 

इनपुट भाषा