Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि इस साल 8 मार्च शुक्रवार को है. इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही मंदिरों में भक्‍तों की लंबी कतारें लग जाती हैं. तमाम लोग इस मौके पर ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए भी जाते हैं. शिव जी के 12 ज्‍योतिर्लिंग हैं जो देश के तमाम हिस्‍सों में हैं. पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. 

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मान्‍यता है कि जिन 12 जगहों पर ज्योतिर्लिंग हैं, वहां भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए. अगर आप भी शिवभक्‍त हैं तो आपको इन ज्‍योतिर्लिंग के बारे में जानना चाहिए. अगर इस महाशिवरात्रि पर आप इन ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो जान लीजिए कि आप जहां रहते हैं वहां से नजदीक कौन-कौन से ज्‍योतिर्लिंग हैं.

सोमनाथ

इसे पहला ज्‍योतिर्लिंग माना जाता है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है. माना जाता है कि यहां चंद्रदेव ने शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए तप किया था. चंद्रदेव को सोमदेव भी कहा जाता है, इसलिए इस मंदिर को सोमनाथ के नाम से जाना जाता है.

मल्लिका‍र्जुन

दूसरा ज्‍योतिर्लिंग मल्लिका‍र्जुन है जो आंध्र प्रदेश के कृष्‍णा शहर में कृष्‍णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर है. यहां देवी पार्वती के साथ शिवजी विराजित हैं.

महाकालेश्‍वर

महाकालेश्‍वर को तीसरा ज्‍योतिर्लिंग माना जाता है. ये मध्‍यप्रदेश के उज्‍जैन में है. ये एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की उपासना की जाती है. मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान महाकाल के दर्शन करने से सभी प्रकार के भय, रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है.

ओंकारेश्‍वर

चौथा ज्‍योतिर्लिंग ओंकारेश्‍वर है. ये इंदौर से करीब 80 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर है. ऊंचाई से देखने पर इस स्थान का आकार 'ॐ' आकार का दिखाई देता है. इसलिए इसे ओंकारेश्‍वर कहा जाता है. यहां भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

केदारनाथ

पांचवां ज्‍योतिर्लिंग है केदारनाथ. हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इसका निर्माण आठवीं या नौवीं सदी में गुरु शंकराचार्य ने करवाया था. ये उत्‍तराखंड के चार धामों में से एक है. मान्यता है कि महाभारत काल में भगवान शिव ने पांडवों को इसी स्थान पर बैल रूप में दर्शन दिया था. 

भीमाशंकर

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है. इसे छठवां ज्‍योतिर्लिंग माना जाता है. कुछ लोग भीमाशंकर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी पुकारते हैं. मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने भीम नामक दैत्य का वध किया था. 

काशी विश्वनाथ 

ज्योतिर्लिंगों में सातवां नंबर काशी विश्वनाथ का है. ये उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में है. यहां भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता स्वयं पृथ्वी लोक पर आते हैं. माना जाता है कि जिस व्यक्ति की यहां मृत्यु होती है उसे निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

त्रयम्बकेश्वर 

आठवां ज्‍योतिर्लिंग त्रयम्बकेश्वर है जो महाराष्ट्र के नासिक में है. यहां के शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों की पूजा होती है. त्रयम्बकेश्वर का मंदिर ब्रह्मागिरी पर्वत पर स्थित है और इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है. कहा जाता है कि इस स्थान पर गौतम ऋषि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी.

वैद्यनाथ 

नौवां ज्‍योतिर्लिंग वैद्यनाथ झारखंड के देवघर जिले में है और इसकी बहुत मान्‍यता है. माना जाता है कि ये ज्‍योतिर्लिंग रावण द्वारा स्थापित है. रावण शिवजी का परम भक्‍त था. वो हिमालय में शिवजी का कठोर तप कर रहा था. तब शिवजी ने उसे दर्शन दिए. दर्शन के बाद रावण से शिव जी से वर मांगा कि वो उन्‍हें अपने साथ लंका ले जाना चाहता है. शिवजी ने उसे वर दे दिया लेकिन शर्त रखी कि अगर वो लंका के मार्ग में कहीं भी बीच में इस शिवलिंग को जमीन में रखेगा, तो ये वहीं स्‍थापित हो जाएगी. लंका ले जाते समय रावण ने भूलवश शिवलिंग को इस स्‍थान पर रख दिया और ये वहीं पर स्‍थापित हो गया. इस स्थान पर पूजा-पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. श्रावण मास में लाखों की संख्या में कांवड़िए जल चढ़ाने आते हैं.

नागेश्वर 

गुजरात के द्वारका में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दसवां ज्‍योतिर्लिंग है. इसका जिक्र शिवपुराण में भी मिलता है. बता दें कि शिव पुराण में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को दारूकावन क्षेत्र में ही वर्णित किया गया है.

रामेश्वरम 

11वां ज्‍योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में है. इसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने समुद्र के तट पर बालू से इस शिवलिंग का निर्माण किया था. बाद में वो शिवलिंग वज्र के समान मजबूत हो गया. श्रीराम द्वारा स्‍थापना होने के कारण इस शिवलिंग को रामेश्‍वरम कहा जाता है. ये देश के 4 प्रमुख धामों में शामिल है. 

घृष्णेश्वर 

12वां और आखिरी ज्‍योतिर्लिंग घृष्णेश्वर है जो महाराष्ट्र के वेरुल नामक गांव में स्थित है. शिव पुराण में भी भगवान शिव के इस अंतिम ज्योतिर्लिंग का उल्लेख मिलता है. यहां भगवान शिव के दर्शन और पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.