Brain Stroke: गुड मार्निंग मैसेज और सोशल मीडिया अपडेट्स आपकी सेहत सुधार रहे हैं या बिगाड़ रहे हैं? इस बारे में सबकी अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन पहली बार मोबाइल फोन को बीमारी कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया गया है और इस पर स्टडी भी की गई है. क्या मोबाइल के रेगुलर अपडेट्स भारतीयों में ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं? ये जानने के लिए (ICMR- Indian Council of Medical Research) ने साल भर तक एक स्टडी की है. 

भारत में ब्रेन स्ट्रोक से बड़ी संख्या में मौतें

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स्ट्रोक यानी ब्रेन अटैक- भारत में मौत होने के बड़े कारणों में शामिल है. ब्रेन स्ट्रोक दो तरह से होता है. दिमाग में मौजूद खून की किसी नस में ब्लॉकेज हो जाए या फिर ब्रेन हैमरेज- जिसमें ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली कोई नस फट जाए या फिर लीक होने लगे. हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में ब्रेन हैमरेज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. स्ट्रोक होने के कुछ बड़े कारण हो सकते हैं, जैसे कि

  • हाई ब्लड-प्रेशर 
  • हाई ब्लड-शुगर  
  • ज्यादा कोलेस्ट्रोल  
  • धूम्रपान (स्मोकिंग)  
  • मोटापा  
  • शराब 
  • एक्सरसाइज ना करना  
  • और गलत खाना खाना

दोबारा बना रहता है स्ट्रोक का खतरा

एक बार स्ट्रोक हो जाए तो 15 से 20% मरीजों को दोबारा स्ट्रोक होने का खतरा बना रहता है. हालांकि ऐसा होने की वजहें भी स्टडी के दौरान चेक की गईं और इसके पीछे जो कारण निकलकर सामने आए, वो कुछ ऐसे रहे-

  • नियमित तौर पर दवाएं ना लेना 
  • ब्लडप्रेशर और शुगर काबू में ना रहना 
  • और खराब जीवन शैली 

मोबाइल कैसे बना दवा?

ICMR ने अपनी स्टडी में ये पाया कि मोबाइल फोन अपडेट्स के जरिए दूसरी बार होने वाले स्ट्रोक में कमी लाई जा सकती है. इन अपडेट्स में शामिल थे –SMS, Videos, और मरीजों के लिए स्ट्रोक की जानकारी देने वाली E-books.  इन अपडेट्स में बीपी और शुगर काबू में रखने, फिजिकल एक्टिविटी करने, दवाएं बराबर लेते रहने जैसे मैसेज दिए गए थे. 12 अलग अलग भाषाओं में ये सभी अपडेट्स तैयार किए गए. भारत के 31 शहरों के 4,298 मरीजों को स्टडी के लिए चुना गया. इनमें से 2,148 लोगों को मैसेज ग्रुप में जोड़ा गया, जबकि 2150 नॉर्मल ग्रुप में थे. मैसेज ग्रुप वाले 1,502 मरीजों और नॉर्मल ग्रुप वाले 1536 मरीजों ने पूरे एक साल तक स्टडी में हिस्सा लिया. स्टडी में सामने आया कि मैसेज ग्रुप वाले मरीजों ने दवाएं बराबर लीं और अपनी जीवनशैली में सुधार भी किया. इस स्टडी को लैंसेट में प्रकाशित किया गया है.

लेकिन स्टडी के ये दो फैक्टर ध्यान देने लायक

क्रिश्चियन मेडिकल कालेज लुधियाना में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ जयाराज पांडियन ने इस स्टडी में ICMR के साथ मिलकर काम किया. डॉ पांडियन के मुताबिक, मोबाइल मैसेज ग्रुप वाले 83% मरीजों ने स्मोकिंग और शराब छोड़ दी, जबकि दूसरे ग्रुप में 75% मरीजों ने स्मोकिंग और शराब छोड़ी. हालांकि दोनों ही ग्रुप में किसी को स्ट्रोक दोबारा नहीं हुआ. इसके पीछे दो वजहें देखी गईं- स्टडी का समय केवल एक साल का ही था और सभी मरीज अच्छे अस्पतालों में बराबर इलाज करवा रहे थे. ICMR की साइंटिस्ट डॉ मीनाक्षी शर्मा के मुताबिक मोबाइल के इस्तेमाल से इलाज के तरीके में सुधार को स्टडी करने वाली ये दुनिया में पहली स्टडी है. स्टडी का दूसरा चरण अभी जारी है, जिसके नतीजों के बाद मोबाइल से इलाज के इस तरीके को गंभीर और लंबी बीमारियों का हिस्सा बनाया जा सकता है.

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