INS Chennai: भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को लाइबेरिया के ध्वज वाले जहाज ‘एमवी लीला नॉरफोक’ के अपहरण का प्रयास नाकाम कर दिया. इसमें सवार 15 भारतीयों समेत चालक दल के 21 सदस्यों को बचा लिया था. जहाज के अपहरण के सूचना मिलते ही भारतीय नौसेना ने एक समुद्री गश्ती विमान (एमपीए) लांच किया है और समुद्री सुरक्षा संचालन के लिए तैनात आईएनएस चेन्नई को जहाज की सहायता करने का निर्देश दिया.  आईएनएस चेन्नई को साल 2016 में भारतीय नौसेना में कमिशन किया है. ये युद्धपोत ब्रह्मोस समेत कई आधुनिक हथियारों से लैस है.

INS Chennai: ब्रह्मोस मिसाइल और 32 बराक-8 मिसाइल से है लैस

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INS चेन्नई का देश में ही निर्माण हुआ है. साल 2022 में आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का लंबी दूरी तक जमीन पर सटीक हमले का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था.  आईएनएस चेन्नई में ब्रह्मोस के अलावा 32 बराक-8 मिसाइल भी है. इसकी लंबाई 535 फीट है. इसमें छह तरह के मॉर्डन सेंसर लगे हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और डेकॉय सिस्टम लगे हैं. इसके अलावा ये नेवल गन, AK 630 CIWS, चार टॉरपीडो ट्यूब्स, दो आरबीयू 6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर से लैस है. 

INS Chennai:  मझगांव डॉक लिमिटेड ने किया है निर्माण, 56 किमी प्रति घंटा है रफ्तार

INS चेन्नई का निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा किया गया था. इसे होर्मुज जलडमरूमध्य में तानव के बीच भारतीय शिपिंग के हितों की रक्षा के लिए तैनात किया जा चुका है. इसकी स्पीड अधिकतम 56 किमी प्रति घंटा है. गौरतलब है कि अपहृत जहाज को समुद्री गश्ती विमान पी-8आई और प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन का उपयोग करके निरंतर निगरानी में रखा गया.  पी-8आई लंबी दूरी का समुद्री गश्ती और पनडुब्बी रोधक विमान है. वहीं, एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर ड्रोन्स एक मानव रहित हवाई वाहन है.

INS Chennai:  नेवी हेडक्वार्टर ने लाइव देखा था ऑपरेशन, ड्रोन से भेजी जा रही थी फीड

आपको बता दें कि भारतीय नौसेना के पहुंचने पर समुद्री डाकू रात के अंधेरे में भाग खड़े हुए. नेवी कमांडर्स, हेडक्वार्टर से इस समुद्री ऑपरेशन की लाइव निगरानी कर रहे थे. ऑपरेशन के दौरान एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन से नेवी हेडक्वार्टर्स को लाइव फीड भेजी जा रही थी.रक्षा मंत्रालय के मुताबिक टीम को जहाज पर कोई समुद्री डाकू नहीं मिला. भारतीय नौसेना के विमानों द्वारा जहाज को जोरदार चेतावनी और आईएन युद्धपोत ने समुद्री डाकुओं को रात के दौरान भागने के लिए मजबूर कर दिया.