Hydrogen Fuel: नमस्कार.. आप भविष्य में ट्रैवल कर रहे हैं.. अगर ऐसी कोई आवाज़ आपने सुनी है तो फिल्मों में ही सुनी होगी. लेकिन, आप भविष्य देख सकते हैं. इसे सीरियसली मत लीजिए.. देख सकते हैं मतलब, भविष्य में होने वाली चीजें आपको पता होती हैं. जैसे कि हाइड्रोजन पर अब कार चलेगी, ट्रेनें दौड़ेंगी... ये सब मुमकिन होने जा रहा है. इसलिए आप भविष्य में ट्रैवल कर रहे हैं. चलिए फ्लैशबैक में चलते हैं. 

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कुछ महीनों पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल से संसद पहुंच थे. हाइड्रोजन वाली इस कार ने सुर्खियां बटोरीं. लेकिन, अब मामला ट्रेन तक पहुंच गया है. खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में हाइड्रोजन से ट्रेन चलेगी. मतलब साफ है कि ये सुपर फ्यूल या भविष्य का फ्यूल होगा. इसलिए आपके लिए जरूरी है कि इसके फायदे अभी से समझें ताकि आगे चलकर इसे हाथों-हाथ ले सकें..

पहले समझिए क्‍या है हाइड्रोजन

हाइड्रोजन क्लीन एनर्जी के अंतर्गत आता है. ये एक ऐसा तत्त्व है जो वायुमंडल में किसी न किसी से जुड़ा हुआ प्राप्त होता है. ये शुद्ध रूप से वायुमंडल में उपलब्ध नहीं हो पाता है. इसमें बहुत ऊर्जा पाई जाती है. धरती पर ये जटिल अणुओं जैसे पानी या हाइड्रोकार्बन के तौर पर पाया जाता है. ये ऊर्जा का स्रोत नहीं बल्कि वाहक है यानी इस्तेमाल के लिए इसका उत्पादन किया जा सकता है, इसे अलग किया जा सकता है या संग्रहित किया जा सकता है. इसके जलने पर पानी ही बनता है. हाइड्रोजन को प्राप्त करने के लिए जल में इलेक्ट्रोलिसिस की क्रिया अपनाई जाती है.

कैसे तैयार किया जाता है ग्रीन हाइड्रोजन

वैसे तो हाइड्रोजन (Hydrogen) को अलग करने के कई तरीके होते हैं, इन तरीकों की वजह से ही इसका रंग ग्रे, ब्‍लैक, ब्‍लू आदि अलग-अलग हो जाता है. लेकिन यहां हम बात करेंगे ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) की. ये वो चीज है जिसके लिए सरकार काम कर रही है. जिससे ट्रेन और कारों को चलाने की बात की जा रही है. ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है. इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल होता है. इलेक्ट्रोलाइजर, रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करता है. इसमें सोलर और विंड दोनों तरह की एनर्जी शामिल है.

क्‍यों बढ़ रही है दिलचस्‍पी

हाइड्रोजन फ्यूल को लेकर सरकार की बढ़ दिलचस्‍पी बढ़ने के कई कारण हैं. दरअसल हाइड्रोजन फ्यूल एक ऐसा ईंधन है जिसकी एनर्जी बाकी ईंधनों के अपेक्षा ज्यादा होती है, साथ ही ये सस्ता और हल्का भी होता है. एक्‍सपर्ट्स की मानें तो 1 किलो हाइड्रोजन करीब 4.5 लीटर डीजल के बराबर है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इसे एक बेहतरीन विकल्‍प माना जा रहा है. हाइड्रोजन फ्यूल का एक फायदा ये भी है कि इससे प्रदूषण को काफी हद तक कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है. इसमें धुंए की जगह H2O निकलता है. इस वजह से पॉल्यूशन भी नहीं फैलता है. 

इसके अलावा तमाम एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि हर चीज के लिए इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इलेक्ट्रिक के उत्पादन में भी काफी खर्च आता है और प्रदूषण  भी होता है. ऐसे में कुछ इंडस्ट्रियल प्रोसेस और हैवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें रिन्यूएबल हाइड्रोजन सबसे अच्छी गैस है. ये पूरी तरह से स्वच्छ है. इस कारण सरकार के साथ-साथ ऑयल और गैस कंपनियों की दिलचस्पी भी ग्रीन हाइड्रोजन में बढ़ी है.

कैसे चलेगी हाइड्रोजन ईंधन से ट्रेन

हाइड्रोजन से भरे एक टैंक से  ट्रेन करीब 1000 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है. हाइड्रोजन ट्रेनों में पावर जनरेट करने के लिए उसकी छत पर ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन स्टोर की जाती है. ट्रेनों के संचालन से सिर्फ भाप और पानी निकलता है. ट्रेन के परिचालन में जो भी हीट उत्पन्न होती है, उसका इस्तेमाल ट्रेन की हीटिंग और एयर कंडीशनिंग सिस्टम को बिजली देने में मदद के लिए किया जाता है. 

हाइड्रोजन कार के बारे में भी जान लें

हाइड्रोजन कार में हाइड्रोजन के हाइली कम्‍प्रैस्‍ड और लो कम्‍प्रैस्‍ड दो टैंक होते हैं. हाइड्रोजन काफी ज्वलनशील गैस है, इसलिए इसके टैंक और इसे रखने वाले पाइप का मजबूत होना जरूरी होता है. इस टेक्नोलॉजी के तहत इस क्रिया में एक चैंबर होता है, जिसमें एक तरफ से ऑक्सीजन और दूसरे तरफ से हाइड्रोजन भेजा जाता है. दोनों के बीच केमिकल रिएक्शन से एक ऊर्जा निकलती है. इस ऊर्जा की मदद से गाड़ी चलती है और केमिकल रिएक्शन में धुंए की जगह H2O निकलता है.

 

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