Parkash Singh Badal Passes Away: आज मोहाली से बठिंडा बादल गांव तक निकलेगी अंतिम यात्रा, दो दिन का राजकीय शोक
पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के पार्थिव शरीर को आज अंतिम दर्शन के लिए शिरोमणि अकाली दल के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक रखा जाएगा. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ( Parkash Singh Badal) का मंगलवार रात करीब 08:28 मिनट पर निधन हो गया. 95 वर्ष के प्रकाश सिंह बादल को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली. आज उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए शिरोमणि अकाली दल के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक रखा जाएगा. इसके बाद मोहाली से बठिंडा बादल गांव तक उनके पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी.
गुरुवार को होगा अंतिम संस्कार
दोपहर 12 बजे उनके पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ से राजपुरा, पटियाला, बरनाला रामपुरा फूल बठिंडा होते हुए बादल गांव ले जाया जाएगा. कल यानी गुरुवार को दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव बादल में किया जाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर 26 और 27 अप्रैल को राजकीय शोक रहेगा और इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.
5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे
पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल साल कई दशकों से राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे है. वे 1970 में सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार चुने गए थे. इसके बाद वे 1977, 1997, 2007 और 2012 में पंजाब के CM रहे. उन्हें पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है. प्रकाश सिंह बादल एक कुशल राजनीतिज्ञ और अपने धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित व्यक्ति है.
सबसे कम उम्र और सबसे उम्रदराज CM रहे
प्रकाश सिंह बादल 1970 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उनकी उम्र महज 43 साल थी. तब वे देश में सबसे कम उम्र के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. वहीं, साल 2012 में जब वह पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने तो वे देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे. इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में वे सबसे उम्रदराज प्रत्याशी थे. अपने राजनीतिक करियर में प्रकाश सिंह बादल ने 1969-1970 तक सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेरी आदि से संबंधित मंत्रालयों में कार्यकारी मंत्री के रूप में कार्य किया. आगे चलकर 1995 से 2008 तक शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, इसके बाद उनकी जगह उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल ने ले ली है.
पद्म विभूषण से सम्मानित
2015 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया. 2011 में अकाल तख्त ने उन्हें पंथ रतन फखर-ए-कौम (सचमुच, धर्म का गहना और समुदाय का गौरव) की उपाधि दी थी. सरदार बादल को यह उपाधि उन्हें लंबे समय तक जेल में रहने और विभिन्न अकाली आंदोलनों के दौरान अत्याचारों का सामना करने के लिए दी गई थी.