आज देशभर में पूरे धूमधाम से धनतेरस (Dhanteras 2022) का त्योहार मनाया जा रहा है. धनतेरस के दो दिन बाद यानी सोमवार को देश-विदेश में दीपावली (Diwali) का त्योहार मनाया जाएगा. रोशनी के इस पर्व पर घर, मकान, दुकान, ऑफिस, फैक्टरी सब कुछ दीयों और लाइटों से जगमग कर दिया जाता है. इस दिन बड़े देशभर में बड़े पैमाने पर बम-पटाखे (Firecrackers) जलाए जाते हैं. हालांकि, वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कई राज्यों में बम-पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. आज हम यहां दीपावली पर जलाए जाने वाले एक ऐसे पटाखे की बात करेंगे, जिसमें भरा जाने वाला बारूद तो बाकी पटाखों वाला ही होता है लेकिन वो सबकी तरह जमीन पर नहीं बल्कि आकाश में जाकर फटता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं रॉकेट बम की.

बाकी बम और पटाखों की तरह जमीन पर क्यों नहीं फटता रॉकेट

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रॉकेट बम में भी बाकी बमों की तरह ही वही बारूद भरा जाता है लेकिन ये बाकियों की तरह जमीन पर न फटकर ऊपर हवा में जाकर फटता है. लेकिन क्या आपके मन में ये सवाल आया कि आखिर रॉकेट में ऐसा क्या खास होता है जिससे ये जमीन पर न फटकर ऊपर जाकर हवा में फटता है. और अगर ऐसा होता भी है तो क्यों होता है? यहां हम आपको इन दोनों सवालों का जवाब देंगे. इन दोनों सवालों का जवाब जानने से पहले आपको ये भी जानना चाहिए कि बाजारों में बम और पटाखों की जबरदस्त रेंज उपलब्ध हैं, जिनमें सैकड़ों की तादाद में अलग-अलग किस्म के पटाखे शामिल हैं.

हवा में जाकर फटने के पीछे क्या है कारण

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि रॉकेट बम में भी बाकी बमों जैसा ही बारूद होता है. लेकिन इसे बाकी बम से बनाने के लिए थोड़ी साइंस का इस्तेमाल किया जाता है. रॉकेट बम में एक एरियल शेल होती है, जो उसे हवा में लेकर जाता है. इस शेल को एक ट्यूब के अंदर रखा जाता है, जिसे मोर्टार कहते हैं. शेल के नीचे बारूद का एक लिफ्टिंग चार्ज होता है, जिसमें एक फ्यूज लगाया जाता है. जब इस फ्यूज को बाहर निकली बत्ती के जरिए जलाया जाता है तो बारूद फट जाता है, जिससे बहुत ज्यादा गर्मी और गैस पैदा होती है. यही गर्मी और गैस शेल के नीचे जबरदस्त प्रेशर बनाती है. फिर, जब प्रेशर काफी ज्यादा हो जाता है तो ये शेल उड़कर हवा में चला जाता है और फटता है.