रूस और यूक्रेन के बीच हुए काला सागर अनाज समझौते (Black Sea Grain Deal) के मामले में रूस पीछे हट चुका है. लेकिन अब रूसी राष्‍ट्रपति की ओर से कुछ ऐसा कहा गया है, जिससे उम्‍मीद की जा रही है कि रूस इस समझौते में फिर से वापस आ सकता है. दरअसल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ टेलीफोन पर बातचीत में कहा है कि अगर मॉस्को के हित सुरक्षित रहेंगे तो वे काला सागर अनाज समझौते में वापस आ जाएगा.

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दोनों नेताओं ने बुधवार को समझौते से रूस के पीछे हटने के मुद्दे पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य काला सागर बंदरगाहों से यूक्रेनी अनाज और रूसी भोजन और उर्वरकों के निर्यात को सुविधाजनक बनाना था. इस बीच पुतिन ने एर्दोगन से कहा कि समझौते में जैसे ही पश्चिम अपने सभी दायित्वों को पूरा करेगा, रूस समझौते में वापस आ जाएगा. आइए आपको बताते हैं कि क्‍या है काला सागर अनाज समझौता और रूस इस समझौते से क्‍यों पीछे हट गया.

काला सागर अनाज समझौता

यूक्रेन और रूस दुनियाभर के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों देशों में से एक है. लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध होने के कारण यूक्रेन के बंदरगाह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए. दुनियाभर के तमाम देशों पर इसका असर पड़ा. इससे खाद्य सामग्री की कीमतों में तेजी से उछाल आना शुरू हो गया. पाकिस्तान समेत कई देशों में गेहूं के दाम आसमान छूने लगे. इन हालातों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र और तुर्की ने मध्यस्थता की और रूस को Black Sea Grain Deal के लिए राजी किया.

इस समझौते के तहत रूस ने यूक्रेन के तीन बंदरगाह चोर्नोमोर्स्क, पिवडेनी और ओडेसा से खाद्यान्न ले जा रहे जहाजों को जांच के बाद जाने की अनुमति दे दी थी. इससे वैश्विक अनाज बाजारों को काफी राहत पहुंची. इस समझौते के लागू होने के बाद से वैश्विक खाद्य मूल्यों में गिरावट होनी शुरू हो गई थी. लेकिन अब रूस इस समझौते से पीछे हट चुका है.

क्‍यों समझौते से पीछे हटा रूस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काला सागर अनाज समझौते में पीछे हटने को लेकर रूस ने 17 जुलाई को दो बड़ी वजह बताई थी. पहली वजह- अपने स्वयं के खाद्य और फर्टिलाइजर एक्सपोर्ट में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं और दूसरी वजह- यूक्रेन का पर्याप्त अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंच पाया है. रूस का कहना था कि यूक्रेन उच्च और मध्यम आय वाले देशों को ही खाद्यान्न निर्यात कर रहा है. रूस की ओर से 13 जुलाई को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने समझौता रद्द करने के इरादे जता दिए थे.

तीन बार रिन्‍यू हो चुका था समझौता

काला सागर अनाज समझौता जुलाई 2022 में लागू हुआ था और तब से इसे तीन बार रिन्‍यू किया जा चुका था. शुरुआत में ये समझौता 120 दिनों के लिए था. इसके बाद नवंबर में इसे फिर से एक बार 120 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया. इसके बाद मार्च 2022 में इसे 60 दिनों के लिए बढ़ाया गया. इसके बाद इसे 17 मई को 60 दिनों के लिए बढ़ाया गया. 17 जुलाई को ये खत्‍म हो गया. 

 

IANS से इनपुट