साल 2024 में देश की 5 हस्तियों को सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्‍न के लिए चुना गया है. इनमें से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पी.वी. नरसिम्हा राव, कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ये सम्‍मान आज दिया जा चुका है, वहीं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को 31 मार्च को भारत रत्न दिया जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को आडवाणी के घर जाकर उन्हें सम्मानित करेंगी. देश के इस सर्वोच्‍च सम्‍मान को पाने वाले व्‍यक्ति को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. लेकिन मरणोपरांत ये सम्‍मान मिलने पर क्‍या होता है? क्‍या उनके परिवार को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं? आइए आपको बताते हैं-

पहले जानिए भारत रत्‍न का इतिहास

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भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी. देश का पहला सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में दिया गया था. 1954 तक ये सम्मान केवल जीवित रहते हुए ही दिया जाता था, लेकिन 1955 में इसमें संशोधन किया गया और मरणोपरांत भी भारत रत्न दिये जाने का प्रावधान जोड़ा गया.

किन्‍हें दिया जाता है भारत रत्‍न 

भारत रत्‍न कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल आदि किसी भी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है, जिससे देश का गौरव बढ़ा हो. साल 2011 से पहले भारत रत्‍न का सम्‍मान सिर्फ कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान को देखते हुए दिया जाता था, लेकिन 2011 में इसमें संशोधन किया गया. अब इसके लिए कोई क्षेत्र निर्धारित नहीं है.

भारत रत्‍न के लिए चुनने की प्रक्रिया

भारत रत्न सम्मान के लिए चुने जाने की प्रक्रिया पद्म पुरस्कारों से अलग होती है. भारत रत्न पुरस्कार किसी औपचारिक नामांकन प्रक्रिया के अधीन नहीं है. इसमें देश के प्रधानमंत्री किसी भी व्यक्ति को पुरस्कार के लिए नामित कर सकते हैं. इसके अलावा, मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री को सिफारिशें भेज सकते हैं. इन सिफारिशों पर विचार किया जाता है और अंतिम मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्‍ट्रपति की स्वीकृति के बाद इस पुरस्‍कार के लिए नाम फाइनल होता है.

भारत रत्‍न से सम्‍मानित लोगों को क्‍या मिलता है?

भारत रत्‍न से सम्‍मानित लोगों को एक प्रमाणपत्र और एक मेडल दिया जाता है. लेकिन कोई नकद राशि राशि प्रदान नहीं की जाती. लेकिन इस सम्‍मान से सम्‍मानित व्‍यक्ति देश के लिए वीआईपी की तरह होता है. उसे राज्‍य अतिथि का सम्‍मान दिया जाता है. वो जिस राज्‍य में भी जाता है, वहां राज्‍य अतिथि के तौर पर उनका स्‍वागत किया जाता है और परिवहन, बोर्डिंग और राज्य में ठहरने की सुविधा दी जाती है. ऐसे व्‍यक्ति विशेष को अहम सरकारी कार्यकर्मों में शामिल होने का निमंत्रण भारत सरकार की ओर से दिया जाता है. नियमानुसार विस्‍तारित सुरक्षा मिलती है और सरकार उन्‍हें वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है. 

मरणोपरांत भारत रत्‍न मिलने पर क्‍या होता है?

किसी शख्सियत को मरणोपरांत भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया जाता है तो उनके परिवार के सदस्‍यों जैसे पति या पत्नी और बच्चों को भी राज्य सरकार अतिथि वाली सुविधाएं देती हैं. उन्‍हें व्‍यक्तिगत स्‍टाफ और ड्राइवर भी दिए जाते हैं. हालांकि परिवार को दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर कोई लिखित निर्देश नहीं हैं.

भारत रत्‍न से सम्‍मानित व्‍यक्ति के लिए नियम

भारत रत्‍न पुरस्कार प्राप्त करने वाले अपने नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में 'भारत रत्न' का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इसे पाने वाले अपने बायोडेटा, लेटरहेड या विज़िटिंग कार्ड जैसी जगहों पर ये लिख सकते हैं- 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता'.