Web3 शब्द को लेकर सिलिकन वैली में जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है. इस Web3 को इंटरनेट का नेक्स्ट फेज यानि अगला चरण कहा जा रहा है. इस पर तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लोग काफी उत्साहित हैं. लेकिन टि्वटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उनका कहना है कि इंटरनेट पहले से ही बड़े पूंजीपतियों के हाथों में है. आइए जानते हैं कि आखिर है Web3 क्या है जिसको लेकर इतना हल्ला हंगामा मचा हुआ है. 

क्या है Web3?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आसान शब्दों में समझाएं तो बहस Web3 टर्म एक पूरे ऐसे ऑनलाइन इकोसिस्टम को व्याख्यायित करता है, जिसमें किसी तरह का कोई मिडिलमैन नहीं है. Web3 पर प्लेटफॉर्म सेंट्रल गेटकीपर के मालिकाना में नहीं हैं और कोई भी Google जैसे सर्च इंजन के जरिए इंटरनेट पर नेविगेट नहीं करेंगे. ये ब्लॉकचेन सिस्टम के आधार पर चलने वाला होगा. इसी सिस्टम पर क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकन (NFT) काम करते हैं. 

कैसे काम करेगा Web3

Web3 की दुनिया में मौजूद सर्च इंजन, मार्केटप्लेस और सोशल नेटवर्क्स पर किसी का मालिकाना हक नहीं होगा. यूजर्स अपना डेटा खुद कंट्रोल कर सकेगा और उसका सिंगल पर्सनलाइज्ड अकाउंट होगा जहां यूजर अपने ईमेल से ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया पर जा सकेंगे, इस प्रक्रिया के दौरान ब्लॉकचैन सिस्टम पर यूजर की गतिविधि का एक पब्लिक रिकॉर्ड भी बनाया जा सकेगा.

ब्लॉकचेन एक सिक्योर डेटाबेस होता है, जिसे सामूहिक तौर पर यूजर्स के जरिए ऑपरेट किया जाता है और उसे कोई भी सर्च कर सकता है. इसमें लोगों को हिस्सा लेने के लिए टोकन के साथ रिवॉर्ड भी दिया जाता है.

यह सिस्टम एक शेयर्ड-लेजर के रूप में काम करता है, जिससे सूचनाएं सुरक्षित रहती हैं. इस शेयर्ड-लेजर में रिकॉर्ड या "ब्लॉक" की एक सीरीज के रूप में होता है. जो हर सीरीज में पिछले ब्लॉक को जोड़ दिया जाता है. हर ब्लॉक में टाइमस्टांप, डेटा और हैश होता है. यह डिजिटल फिंगरप्रिंट की तरह, ब्लॉक की सभी सामग्री के लिए एक विशिष्ट पहचान के रूप में काम करती है.

क्या पहले से मौजूद है Web3

बीते एक दशक से इंटरनेट को डिसेंट्रलाइज्ड किए जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन के आने के बाद इसकी चर्चा और तेजी से शुरू हो गई है. बड़ी टेक कंपनियां पहले से ही इस पर दांव लगा रही हैं और यहां तक कि वेब3 टीमों को भी असेंबल करना शुरू कर दिया गया है. लेकिन सीधे तौर पर कहें तो हम आधिकारिक तौर पर Web3 की दुनिया में नहीं हैं.

चुनौतियां क्या हैं?

Web3 को लेकर एक्सपर्ट्स की अपनी अलग अलग राय है. वो डिसेंट्रलाइज्ड इंटरनेट को रेगुलेट करने को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुकी हैं. उनका मत है कि इसे साइबर क्राइम, हेट स्पीच और फर्जी सूचनाओं से बचाना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा. 

Web3 का उपयोग करना भी कठिन हो सकता है लेकिन चुनौती ये नहीं है कि लोग इसे आसानी से एक्सेस कर सकें, लेकिन अगर वे जानते हैं कि अपने डेटा को सुरक्षित रूप से कैसे मैनेज किया जाए.