देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी ने भी भारतीयों के निजी डाटा के लोकल स्‍टोरेज की वकालत की है. उन्‍होंने कहा कि डाटा का उपनिवेशीकरण किसी देश पर पुराने जमाने के विदेशी आधिपत्य जैसी ही खतरनाक बात है. भारत के डाटा का नियंत्रण और स्वामित्व भारतीयों के पास ही होना चाहिए. एक कार्यक्रम में अंबानी ने कहा कि किसी व्यक्ति या कारोबार का डाटा उनका होता है. यह उन कंपनियों का नहीं होता जो उसका इस्तेमाल कर पैसा कमा सकें. 

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उन्होंने कहा कि नई दुनिया में डाटा एक नए तेल की तरह है. डाटा नई संपदा है. भारतीय डाटा का नियंत्रण और स्वामित्व भारतीय लोगों के पास होना चाहिए कंपनियों विशेषरूप से विदेशी कंपनियों के पास नहीं. कंपनियों द्वारा डाटा को स्थानीय स्तर पर रखने की भारतीय अधिकारियों की बात का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि डाटा की गोपनीयता पवित्र है. 

अंबानी ने कहा कि भारत को डाटा आधारित क्रांति में सफल होने के लिए डाटा का नियंत्रध और स्वामित्व भारत को स्थानांतरित करने को आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए. दूसरे शब्दों में यह भारत की संपत्ति को भारत लाना होगा. उन्होंने कहा कि डाटा की आजादी 1947 की आजादी की तरह बहुमूल्य है. 

सरकार चाहती है कि भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों को सभी ग्राहकों के डाटा को स्थानीय स्तर पर रखना होगा. रिजर्व बैंक ने अप्रैल में कंपनियों को आदेश दिया था कि उनके द्वारा परिचालन वाली भुगतान प्रणाली से संबंधित सभी डाटा भारत में ही रखा जाना चाहिए.

गूगल जैसी कंपनियों ने हालांकि इसके लिए छह महीने की समयसीमा की शिकायत की है. सरकार की डाटा सुरक्षा कानून का मसौदा लाने पर विचार कर रही है जिसके तहत सभी कंपनियों के डाटा केंद्र भारत में ही स्थित होने चाहिए.

अंबानी ने कहा, ‘‘बुनियादी रूप से मैं सभी को अधिकार सम्पन्न बनाए जाने पर विश्वास करता हूं, सिर्फ कुछ को नहीं. मुझे लगता है कि दीर्घावधि में यही चीन और भारत के बीच अंतर करेगा. मेरा मानना है कि विकेंद्रीकृत सशक्त दुनिया, जहां सभी को बराबर का अधिकार हो, उस दुनिया से बेहतर होगी जहां सत्ता कुछ ही लोगों के हाथ में केंद्रित रहती है.’’