जीपीएस सिस्टम 6 अप्रैल 2019 से एक संकट का सामना करने जा रहा है, जिसे जीपीएस रोलओवर नाम दिया गया है. हो सकता है कि कल से आपकी जीपीएस (GPS) डिवाइस कल से काम करना बंद कर दे, हालांकि इसे चेक करना बेहद आसान है. किसी परेशानी से बचने के लिए आपको समय रहते अपनी डिवाइस को चेक करन लेना चाहिए. इसके लिए दो तरीके हैं- 

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पहला तरीका- अपने रिसीवर मैन्युफैक्चरर से ये पता कीजिए कि रिसीवर में वीक नंबर इनकोडिंग के लिए 10 बिट या 13 बिट मैथेड का इस्तेमाल किया गया है. अगर 13 बिट मैथेड का इस्तेमाल किया गया है तो समस्या नहीं आएगी. मैन्युफैक्चरर से डिवाइस की वलनरबिलिटी (Vulnerability) के बारे में पूछिए. क्या डिवाइस में पिवट डेट कोडेड है और अगर है तो मामला कब तक उजागर होगा. फर्मवेयर अपडेट करने के लिए कहिए और ये सुनिश्चित कीजिए की इसे सही तरीके से इंस्टॉल किया गया हो और टेस्टेड हो.

दूसरा तरीका - एक जीपीएस सिम्यलैटर के सिम्पल टेस्ट कीजिए कि क्या आपकी डिवाइस जीपीएस रोलओवर से प्रभावित होगी या नहीं. ये देखिए कि आपके डेटा में सप्ताह, महीना और साल कौन सा है. अगर डेटा गलत है और नए फर्मवेयर से भी समस्या का समाधान नहीं होता है तो आपको एक नया 13 बिट वाला रिसीवर अपडेट करना होगा.

क्या है पूरी समस्या

दरअसल जीपीएस समय की गणना सिर्फ 1024 सप्ताह या 19.7 वर्ष तक ही कर सकता है और उसके बाद उससे सिस्टम में समय फिर शून्य हो जाता है. समय को समझने में इस चूक की वजह से जीपीएस की गणना में गड़बड़ी आने लगती है और गलत रिजल्ट आने लगते हैं. NCIIPC के मुताबिक पहल जीपीएस सेटेलाइट 6 जनवरी 1980 को लाइव हुआ था. इसके ठीक 19.7 साल बाद 21 अगस्त 1999 को पहली बार जीपीएस रोलओवर की समस्या आई. हालांकि तब जीपीएस का टेक्नालॉजी और आम जीवन में इतना अधिक इस्तेमाल नहीं था. इसलिए इस बार की समस्या अधिक बड़ी है.