पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय बाजार ने निवेशकों और ट्रेडर्स की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है. बहुत से लोग शेयर बाजार में निवेश के लिए जागरुक हो रहे हैं और लंबी और छोटी अवधि के लाभ के लिए इक्विटी खरीद रहे हैं. नए निवेशकों को उनकी संपत्ति बढ़ाने में मदद करने के लिए, ज़ी बिजनेस ने ग्लोबल निवेश की बारीकियों को समझाने के लिए विषय के विशेषज्ञों के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया.

वेबिनार देखें और विशेषज्ञों से ग्लोबल निवेश की बारीकियों को जानें

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अगर आप अपना पैसा शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो एक विशेषज्ञ की राय से आप अपने लाभ को अधिकतम कर सकते हैं. इसलिए, ज़ी बिजनेस ने प्रबलीन बाजपेयी और सिद्धार्थ श्रीवास्तव को इस बात पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया कि लोगों को ग्लोबल मार्किट में निवेश क्यों करना चाहिए.

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि प्रबलीन बाजपेयी फिनफिक्स की संस्थापक हैं, और सिद्धार्थ श्रीवास्तव मिराए असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्रा. लि. की हेड ऑफ़ प्रोडक्ट्स हैं. वे विषय के विशेषज्ञ हैं और उन्हें फंड मैनेजमेंट और निवेश का कई वर्षों का अनुभव है. इसलिए, बिना समय नष्ट किये हम अपने विषय पर आते हैं और विदेशी बाजारों में निवेश की संभावनाओं और जोखिमों की चर्चा करते हैं.

विदेशी बाज़ारों में निवेश क्यों करें?

सभी निवेशकों ने यह कहावत सुनी ही है; अपने सारे अण्डों को एक ही टोकरी में कभी मत रखो. और यही वैश्विक निवेश का एकमात्र उद्देश्य है- आपके धन का विविधीकरण या डाइवर्सीफिकेशन. यहां तक कि घरेलू बाजार में, यानी भारतीय शेयर बाजार में भी, एक निवेशक के लिए अपने निवेश को विभिन्न कंपनियों और क्षेत्रों में फैलाकर रखना ही बुद्धिमानी का काम है.

प्रबलीन सलाह देती हैं कि निवेशक विभिन्न सेगमेंट्स से स्टॉक का चयन करें, जैसे मेटल्स, बैंकिंग और फाइनेंस, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और सर्विसेस आदि. इससे, एक क्षेत्र विशेष में प्रतिकूल प्रभाव होने पर भी निवेशक के पोर्टफोलियो से पैसे का नुकसान नहीं होगा. उसी तरह विभिन्न बाज़ारों में निवेश करने से घाटे की संभावना कम हो जाती है क्योंकि किसी एक बाज़ार में प्रतिकूल प्रभाव होने पर भी निवेशक के पोर्टफोलियो पर असर कम होता है. डाइवर्सीफिकेशन आपको अनसिस्टीमैटिक जोखिम से बचाता है, लेकिन यह भारतीय बाज़ार के सिस्टीमैटिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा नहीं देता.

उदाहरण के लिए, बाज़ार उतार-चढ़ाव सरकार की नीतियों और अन्य बहुत से कारणों से होते हैं. जैसे बजट के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया सारे सेक्टर्स को बुरी तरह प्रभावित करती है. ऐसे में निवेश के डायवर्सिफिकेशन के बावजूद निवेशकों की संपत्ति में गिरावट का जोखिम बना रहता है. विभिन्न वैश्विक बाजारों में निवेश करने से यह जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है.

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प्रबलीन यह भी बताती हैं कि ऐसे सेक्टर्स को चुनना क्यों महत्वपूर्ण है जिनमें आपस में कोई सहसंबंध या कोरिलेशन नहीं है? यदि कंपनियां या उद्योग एक-दूसरे पर निर्भर हैं, तो अगर एक नीचे गया, तो दूसरा भी जल्द ही नीचे जायेगा. यही एक बड़ा कारण है कि निवेशकों को अमेरिकी और अन्य विदेशी बाजारों में निवेश करना चाहिए. और, अगर रूपए का मूल्य डॉलर के मुक़ाबले गिरता है, तो निवेश किए हुए धन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. बल्कि, डॉलर के बढे हुए मूल्य के कारण रिटर्न ज़्यादा मिलेगा.

सिद्धार्थ आगे कहते हैं कि भारतीय बाजार रिटेल निवेशकों को उभरती हुई कंपनियों या क्षेत्रों निवेश करने का मौक़ा नहीं देता है. रिटेल निवेशक केवल लिस्टेड कंपनियों में ही निवेश कर सकते हैं. इसके विपरीत, अमेरिकी बाजार रिटेल निवेशकों को उभरती हुई कंपनियों या क्षेत्रों में पैसा लगाने की अनुमति देता है, जिससे निवेश पर अधिक रिटर्न मिलता है.

ग्लोबल निवेश कैसे करें?

भारतीय निवेशकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निवेश करने के दो आसान तरीक़े हैं-

•    एक्टिव निवेश (सक्रीय निवेश)

•    पैसिव निवेश (अप्रत्यक्ष निवेश)

सिद्धार्थ समझाते हैं, “एक्टिव फंड में, फंड मैनेजर काफी रिसर्च और जोखिम के एनालिसिस के बाद कंपनियां या स्टॉक चुनता है. ऐसे एक्टिव फंड्स का लक्ष्य होता है, इंडेक्स या मार्केट को पीछे छोड़ना”

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“दूसरी ओर, निष्क्रिय फंड अंडरलाइंग इंडेक्स में ही निवेश करते हैं. ऐसे फंड्स का मकसद उस इंडेक्स में लिस्टेड कंपनियों में निवेश करना होता है, और इसलिए वे आपको उतना ही रिटर्न देते हैं जितना वह इंडेक्स देता है”, सिद्धार्थ कहते हैं.

भारत में हाल ही में ईटीएफ में तेजी देखीगई  है क्योंकि लार्ज-कैप फंडों में अल्फा जनरेट करना मुश्किल हो गया है. निवेशक ऐसे फंडों से दूर होना शुरू हो गए हैं और ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं क्योंकि उनमें भाव के मुक़ाबले मूल्य अधिक है| "हालांकि, अमेरिकी बाजार में, ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) बहुत पहले ही लोकप्रिय हो चुके हैं| अमेरिका में पैसिव फंड का मूल्य $6 ट्रिलियन है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद)  का दोगुना है”, सिद्धार्थ बताते हैं.

किसी भी फंड मैनेजर के लिए तेजी से बढ़ते इंडेक्स से आगे निकलना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है. सिद्धार्थ कहते हैं, "अपने शुरुआती निवेश को पैसिव फंड या ऐसे ईटीएफ में करना बेहतर है जो अंडरलाइंग इंडेक्स जैसे NASDAQ100, S&P500, या S&P500 टॉप 50 में निवेश करता है."

सिद्धार्थ ईटीएफ में निवेश करने के दो फायदे बताते हैं,

•    या फंड बहुत महंगे नहीं होते

•    निवेश का रिटर्न यूएस मार्केट के बराबर हैं

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में ईटीएफ की लागत सिर्फ 0.5% है, जबकि यूएस बाजार में ईटीएफ 2% चार्ज करते हैं.

विदेशी बाज़ारों में किस प्रकार के निवेशकों ने निवेश करना चाहिए?

इस प्रश्न के उत्तर में प्रबलीन कहती हैं,” ऐसे सारे निवेशक जो इक्विटी को समझते हैं, वे विदेशी बाज़ारों में  निवेश कर सकते हैं.” वे आगे बताती हैं,” अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश करना डाईवर्सीफिकेशन की एक अतिरिक्त तह बनाना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई तेजी या मंदी की अस्थिरता से बच सकता है.”

वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी बाजार की बाजार पूंजी 50% है जबकि इसकी तुलना में भारतीय बाजार की 3%. वैश्विक व्यापार में अमेरिकी अर्थव्यवस्था का भारी वर्चस्व निवेशकों के लिए शानदार रिटर्न का आश्वासन देता है. लेकिन इससे बाजार के जोखिम कम नहीं होते. प्रबलीन कहती हैं, ''निवेशकों को उचित उम्मीद रखनी चाहिए. कोई भी बाजार निवेश पर लगातार 40% वार्षिक रिटर्न का वादा नहीं कर सकता है, और अमेरिकी बाजार भी कोई अपवाद नहीं है."

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“निवेशक अपनी पोर्टफोलियो राशि का 10% -25% विदेशी बाजारों में डाल सकते हैं. लेकिन, पर्याप्त रिटर्न हासिल करने के लिए, निवेश को कम से कम पांच साल के लिए रखना चाहिए”, प्रबलीन कहती हैं. जोखिमों और सावधानियों के बारे में बात करते हुए वह आगे कहती हैं, "अगर रुपए का कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, तो निवेशकों को अपने लक्ष्य से एक या दो साल पहले धीरे-धीरे बाजार से मुनाफा वसूली शुरू कर देना चाहिए."

यूएस मार्किट में प्रवेश करने का सही समय क्या है?

COVID-19 महामारी के दौरान, अमेरिकी परिवार ने ज़्यादा बचत की और उस पैसे को बाजार में डाला, जिसके कारण अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिला. "अमेरिकियों ने लगभग $ 2 ट्रिलियन डॉलर बचाए जो बाजार में गए. इसके अलावा, बढ़ी हुई उपभोक्ता मांग ने बाजार की तेज़ी को और आगे गति दी है. Q1 में, अमेरिकी बाजार में 6.3% की वृद्धि देखी गई जो Q2 में बढ़कर 6.5% हो गई. कुल मिलाकर, इसके द्वारा पहले साल 6% से 6.5% और दूसरे साल लगभग 4% से 4.5% रिटर्न देने की उम्मीद है”, सिद्धार्थ कहते हैं.

दरअसल मार्केट में क़दम रखने का समय आ गया है. सिद्धार्थ इसे समझाते हैं, “पिछले दस वर्षों में, यूएस बाज़ार ने भारतीय बाज़ार से सात गुना ज़्यादा प्रदर्शन किया है. S&P500 इंडेक्स से यह स्पष्ट है कि इसने पिछले दस वर्षों में निफ्टी 50 के मुकाबले 10% ज़्यादा रिटर्न दिया है.

"निवेशकों को पता होना चाहिए कि ग्लोबल फंड्स के लिए टैक्सेशन डेट फंड्स के ही समान है. इसलिए, ग्लोबल इक्विटी बाजारों से सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए, कम से कम तीन से पांच साल तक निवेश को रखना चाहिए”, सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं.

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ग्लोबल मार्केट में प्रवेश करने के आसान तरीक़े क्या हैं?

जिन लोगों के पास डीमैट अकाउंट हैं, वे ईटीएफ के जरिए निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा, एफओएफ (फंड ऑफ फंड्स), डायरेक्ट इंडेक्स फंड और कुछ थीमेटिक फंड हैं, जो निवेश के आसान तरीके हैं. प्रबलीन के अनुसार, "कोई निवेशक विदेशी बाजारों में निवेश करने के लिए कोई भी उपलब्ध तरीका चुन सकता है. लेकिन, एक कोर और सैटेलाइट पोर्टफोलियो बनाना महत्वपूर्ण है. अब, इस तरह के पोर्टफोलियो को बनाने के लिए एक्सपोजर की जरूरत होती है, जो नए निवेशकों के पास कम हो सकता है."

प्रबलीन निवेशकों को यह सलाह देती है कि निवेशकों ने यूएस बाज़ार जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्था को चुनना चाहिए और इसे कोर पोर्टफोलियो बनाना चाहिए|  निवेशकों को इसके बाद ही सैटेलाइट में  निवेश  करना चाहिए. यह निवेशकों के फंड को स्थिर करेगा और साथ ही एक्सपोजर की कमी के कारण अस्थिरता और घाटे  के जोखिम को कम करेगा. वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने की भी सिफारिश करती है,  फिर चाहे वह ईटीएफ हो या एफओएफ.

संक्षेप में: सावधानीपूर्वक कैसे दांव खेलें?

निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, और प्रत्येक बाजार अलग-अलग जोखिम कारकों पर प्रतिक्रिया व्यक्त  करता है. “निवेशकों को अपने जोखिम प्रोफाइल और लक्ष्यों को समझना चाहिए. ग्लोबल बाजारों ने अतीत में अच्छा रिटर्न दिया है, लेकिन उनके अपने सिस्टमेटिक रिस्क फैक्टर होते हैं. निवेशकों के लिए फंड में डाईवर्सीफिकेशन लाना हमेशा एक सही विकल्प होता है”, सिद्धार्थ कहते हैं.

प्रबलन यह भी कहती हैं कि नए निवेशकों को जल्दबाजी में फैसले नहीं लेने चाहिए.  बाजार में प्रवेश करने के लिए  SIP सबसे अच्छा तरीका है. लेकिन  वे सलाह देती हैं कि अगर निवेशक  एकमुश्त निवेश करना चाहें,  तो उन्हें इसे धीरे-धीरे बढ़ते हुए क्रम में निवेश करना चाहिए . यह निवेशक को बाजार की हलचल पर नजर रखने और महत्वपूर्ण एक्सपोजर इकट्ठा करने का समय देगा.

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मिराए एसेट म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशक के लिए की गई एक शिक्षा पहल

एक बार की जाने वाली केवाईसी प्रक्रिया (अपने ग्राहक को जानें) ,पंजीकृत म्यूचुअल फंड और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी के लिए, मिराए एसेट म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर नॉलेज सेंटर को देखें. निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, निवेश संबंधी सभी दस्तावेजों को सावधानीपूर्वक पढ़ें. निवेश करने से पहले वितीय सलाहकार की सलाह लें.

स्रोत: 30 जुलाई 2021 का ब्लूमबर्ग डेटा. पिछला प्रदर्शन भविष्य में बना भी रह सकता है या नहीं भी.

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इस लेख में निहित जानकारी तीसरे पक्ष और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल सामान्य सूचना देने के उद्देश्य से लिए शामिल किया गया है. यह मुनाफे के बारे पर किसी तरह का आश्वासन और गारंटी नहीं देता. वक्ताओं के द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को निवेश का निर्णय नहीं माना जा सकता है. यहां दिए गए कथन वर्तमान विचारों पर आधारित हैं और इसमें सारे ज्ञात और अज्ञात जोखिम और अनिश्चितताएं शामिल हैं. मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्रा. लिमिटेड (एएमसी) का  ऐसी किसी जानकारी की सटीकता या उसके किसी उपयोग या निर्भरता के प्रति कोई जिम्मेदारी/दायित्व नहीं होगा. एएमसी, इसके सहयोगी या प्रायोजक या समूह की कंपनियां, इसके निदेशक या कर्मचारी इस दस्तावेज़ के उपयोग के परिणामस्वरूप होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान या क्षति के लिए कोई दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. यहां दी गई किसी भी जानकारी पर कार्रवाई करने से पहले प्राप्तकर्ता (ओं) को अपनी स्वयं की जांच करनी चाहिए और उचित पेशेवर सलाह लेनी चाहिए और यहां निहित जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के लिए प्राप्तकर्ता  पूरी तरह से जिम्मेदार/उत्तरदायी होगा. कानूनी, कर संबंधी  या वित्तीय निहितार्थों को समझने के लिए वित्तीय सलाहकार से परामर्श के बाद ही ऐसी जानकारी की सटीकता या उपयोग पर भरोसा किया जाए.