SAT big decision on broker default case: ब्रोकर का कारोबार डूब जाने पर एक्सचेंज से केवल निवेशकों को भरपाई का नियम है. हाल में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने एक मामले में अपना आदेश सुनाया है. इसमें एक्सचेंज ने ये कहकर क्लेम नकार दिया था कि सौदा सही नीयत से नहीं किया गया था. इसके खिलाफ अपील पर ट्रिब्यूनल ने निवेशक के हित में फैसला दिया और कहा कि अगर एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर सौदा हुआ तो क्लेम का हक है.

मुआवजे को लेकर SAT का बड़ा फैसला

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SAT ने अपने फैसले में कहा कि एक्सचेंज पर वाजिब सौदा हुआ तो मुआवजे का हक होगा. SAT ने ताजा ऑर्डर में निवेशक को मुआवजा देने को कहा है. एलाइड फाइनेंशियल डिफाल्ट के केस में ट्रिब्यू नल ने मुआवजे का आदेश दिया है. मेंबर एंड कोर सेटलमंट गारंटी फंड कमेटी ने क्लेम नकारा था. 

SAT ने पूछा कि किस सबूत के आधार पर सौदे को दिखावा माना गया है. SAT ने कहा कि अगर एक्सचेंज पर सौदा हुआ तो क्लेम बनेगा. मामला फिर से डिफाल्टर कमेटी के पास क्लेम के लिए भेजा है. इस मामले में ब्रोकर के पास 23 लाख रु के केस में राहत नहीं मिली है. इसमें कोई सौदा नहीं किया गया था केवल पैसे ब्रोकर के पास जमा थे. एक्सचेंज के नियमों के अंतर्गत लोन वाले मामलों में क्लेम नहीं होगा.

क्या था मामला

एक निवेशक का एलाइड फाइनेंशियल के जरिए ट्रेड था. निवेशक ने 27 अप्रैल 2018 को ट्रेडिंग अकाउंट खोला था. ब्रोकर ने निवेशक के पास कुल 23 लाख रु जमा किया. निवेशक ने 24 दिसंबर 2018 को महज एक ट्रेड किया. इंट्रा डे ट्रेड किया गया था. 2300 शेयर खरीदे, रकम 23,00,023 रु थी. उसी दिन शेयर 22,99,977 रु में बेच दिया, जिसमें 46 रु का घाटा हुआ. एक्सचेंज ने ब्रोकर का टर्मिनल 1 मार्च 2019 को बंद किया. 4 नवंबर 2019 को ब्रोकर को डिफाल्टर घोषित किया. 

एक्सचेंज की कमेटी की दलील थी कि सौदा दिखावे के लिए किया गया था, क्लेम के लायक नहीं है. सौदा महज इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड से क्लेम लेने के लिए है. सौदा की नीयत गलत, एक्सचेंज नियमों के तहत क्लेम नहीं मिलेगा. Speculative, Sham and Collusive ट्रेड पर क्लेम नहीं हो सकता. 

 

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