SEBI New Rules: मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अब म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक नया नियम लेकर आया है. यह नियम एसेट अंडर मैनेजमेंट (AMC) यानी म्यूचुअल फंड हाउस में काम करने वाले जूनियर कर्मचारियों पर लागू होगा. एसेट अंडर मैनेजमेंट कंपनियों के जूनियर कर्मचारियों को 1 अक्टूबर 2021 से अपनी ग्रॉस सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा उस म्यूचुअल फंड के यूनिट्स में निवेश करना होगा. जबकि 1 अक्टूबर 2023 तक फेजवाइज यह सैलरी का 20 फीसदी हो जाएगा. इसे सेबी ने स्किन इन द गेम नियम बताया है. निवेश में लॉक इन पीरियड भी होगा.

फेजवाइज बढ़ेगा हिस्सा

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AMC के जूनियर कर्मचारियों को 1 अक्टूबर 2021 से अपनी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा उस म्यूचुअल फंड के यूनिट्स में निवेश करना होगा 1 अक्टूबर 2022 से यह हिस्स 15 फीसदी होगा. जबकि 1 अक्टूबर 2023 से यह हिस्सा 20 फीसदी हो जाएगा. इस निवेश पर 3 साल का लॉक इन पीरियड भी रहेगा. लॉक इन पीरियड के बाद कर्मचारी इन यूनिट्स को भुना सकेंगे. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक सर्कुलर में इस बात की जानकारी दी है. सेबी ने कहा कि यह "स्किन इन द गेम" नियम 1 अक्टूबर 2022 से लागू होगा।

जूनियर कर्मचारी का मतलब

सेबी ने इस नियम के लिए जूनियर कर्मचारियों का मतलब भी साफ किया है. इसके तहत वे कर्मचारी जिनकी उम्र 35 साल से कम है और जो किसी डिपार्टमेंट को हेड नहीं कर रहे हैं, जूनियर कर्मचारियों की कटेगिरी में आएंगे. स्किन इन द गेम यानी जिसमें किसी कंपनी के मालिक या मोटी सैलरी पाने वाले दूसरे कर्मचारी अपनी ही कंपनी के शेयरों को खरीदने लगें.

क्या है इस नियम का उद्देश्य

नए नियम में सभी प्रमुख कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जो अलग अलग कामों के प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं. इनमें फंड के मैनेजमेंट में शामिल सभी कर्मचारी यानी फंड मैनेजर, रिसर्च टीम और डीलर भी शामिल हैं. इस नियम का उद्देश्य AMC के प्रमुख कर्मचारियों के हितों को म्यूचुअल फंड योजनाओं के यूनिटधारकों के साथ जोड़ना है.

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अप्रैल में AMCs को प्रमुख कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी का कम से कम 20 फीसदी उनके द्वारा मैनेज की जा रही स्कीम की यूनिट्स के रूप में भुगतान करने के लिए कहा था. सेबी ने कहा था कि AMCs के प्रमुख कर्मचारियों के सैलरी/भत्तों/बोनस/नॉन-कैश कंपेनसेशन (ग्रॉस एनुअल CTC) और AMC के प्रमुख कर्मचारियों के किसी भी वैधानिक योगदान (पीएफ और एनपीएस) का मिनिमम 20 फीसदी भुगतान यूनिट्स के रूप में किया जाएगा.