देश में पिछले एक महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिली है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में आई गिरावट को माना जाता है, लेकिन सिर्फ क्रूड की गिरावट ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने के लिए काफी नहीं है. इसके अलावा भी कई और कारण हैं, जिनके चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर असर दिखता है. आपको बता दें, साल 2016 के बाद से रोजाना तेल की कीमतें तय होती हैं. इससे पहले हर महीने की 15 और 30 तारीख को पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय होती थीं.

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पहला कारण- क्रूड की कीमत का पेट्रोल-डीजल पर असर

पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने में सबसे बड़ी भूमिका क्रूड के भाव की होती है. अगर अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में गिरावट आती है तो पेट्रोल-डीजल के दाम में भी असर देखने को मिलेगा. हालांकि, इसका कोई तय फॉर्मूला नहीं है कि पेट्रोल और डीजल में कितनी कटौती होगी. क्योंकि जरूरी नहीं कि क्रूड सस्ता होने पर पेट्रोल-डीजल भी सस्ता हो, लेकिन अधिकतर ऐसा होता है. क्योंकि, तेल कंपनियां क्रूड की कीमतों के अनुसार ही अपना कारोबार चलाती हैं. यही वजह है कि जब-जब क्रूड की कीमतों में गिरावट आई, भारत में भी पेट्रोल-डीजल सस्ता हुआ. 

दूसरा कारण- डॉलर और रुपए की भी अहम भूमिका

भारत में रोजाना 37 लाख बैरल के आसपास क्रूड की खपत होती है. हम अपनी खपत को पूरा करने के लिए करीब 80 फीसदी तेल इंपोर्ट करते हैं. ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत पेट्रोल और डीजल पर असर डालती हैं. रुपए में कमजोरी आने पर क्रूड का इंपोर्ट महंगा हो जाता है. वहीं, रुपए में मजबूती से इंपोर्ट सस्ता पड़ता है. फिलहाल, एक डॉलर की कीमत 72 रुपए के करीब पहुंच गई है. इसलिए क्रूड की कीमतों में जोरदार गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मामूली गिरावट देखने को मिली है.

तीसरा कारण- तेल कंपनियां तय करती हैं कीमतें

ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करती हैं. कंपनियां क्रूड की कीमत, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर तय करती हैं कि पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होगा. इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन जोड़कर ग्राहकों तक पेट्रोल और डीजल पहुंचता है. रोजाना ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ग्लोबल मार्केट में क्रूड की कीमत और रुपए के मूल्य के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं. यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें रोजाना सुबह 6 बजे तय हो जाती हैं.

चौथा कारण- सप्लाई और डिमांड

सप्लाई और डिमांड का असर सबसे ज्यादा क्रूड की कीमतों पर पड़ता है. डिमांड के मुकाबले ही सप्लाई ज्यादा होने की वजह से क्रूड की कीमतों में गिरावट देखने को मिलती है. ओपेक रोजाना डिमांड से ज्यादा उत्पादन कर रहा है. वहीं, अमेरिका में भी क्रूड का उत्पादन रिकॉर्ड लेवल पर है. गोल्डमैन के मुताबिक, युआन की वैल्यू घटना कमोडिटी की कीमतों के लिए अहम है और क्रूड की कीमतों आगे भी कमजोर बनी रह सकती हैं. इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती जारी रह सकती है.