Bank Stocks: भारतीय बैंकिंग प्रणाली में विदेशी और सहकारी बैंकों के अलावा 12 पब्लिक सेक्टर के बैंक, 22 प्राइवेट सेक्टर के बैंक शामिल हैं. पिछले एक साल से अब तक बैंकिंग इंडेक्स (Banking Index) ने 9.29 फीसदी का रिटर्न दिया है. दिवाला और दिवालियापन संहिता लागू होने के बाद, भारतीय बैंकिंग प्रणाली की अधिकांश नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) का समाधान हो गया है, या तो इसका भुगतान कर दिया गया है या नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) रूट के माध्यम से लिया गया है.

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अगर हम अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र और प्राइवेट बैंकों की नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स पर नजर डालें तो ग्रॉस एनपीए और नेट एनपीए में भारी कमी आई है. भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही के दौरान अच्छी कमाई की, लेकिन प्रदर्शन में धीमी गति देखी गई.

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लेंडर्स ने क्रेडिट लागत में कमी के कारण साल-दर-साल 33% की नेट प्रॉफिट में बढ़ोतरी दर्ज की. जबकि वित्‍तीय वर्ष 24 की दूसरी तीमाही के दौरान बैंकों के लिए लोन ग्रोथ लगभग 15% YoY पर आरामदायक थी, जमा और बैंक लोन की लागत के पुन: मूल्य निर्धारण के कारण अधिकांश के लिए नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) में गिरावट आई.

सरकारी बैंकों का कुल लाभ 31% बढ़ा

सार्वजनिक और निजी बैंकों की एसेट क्वालिटी में क्रमिक रूप से सुधार हुआ. वित्‍तीय वर्ष 24 की दूसरी तीमाही में 12 भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का संयुक्त लाभ 31% बढ़कर 33,643 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 25,684 करोड़ रुपये था.

बैंक का ग्रॉस एनपीए रेश्यो वित्‍तीय वर्ष 23 की दूसरी तीमाही में 9.67% से घटकर वित्‍तीय वर्ष 24 की दूसरी तीमाही में 4.62% हो गया, जबकि नेट एनपीए रेश्यो वित्‍तीय वर्ष 24 की दूसरी तीमाही में 1.64% हो गया, जो वित्‍तीय वर्ष 23 की दूसरी तीमाही में 2.95% था.

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हमारा मानना है कि एनपीए चक्र में कमी आने के साथ, हम अच्छी लोन ग्रोथ देख रहे हैं और मजबूत सरकारी नीति के साथ, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आकर्षक दिख रहे हैं और इन स्तरों से भी अच्छी खरीदारी होनी चाहिए. हम सार्वजनिक क्षेत्र में यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), केनरा बैंक (Canara Bank) जैसे कुछ नामों पर उत्साहित हैं, जबकि निजी बैंकों में एक्सिस बैंक (Axis Bank) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) आशाजनक दिख रहे हैं.