Dec 10, 2023, 04:20 PM IST
सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ कठिया गेहूं (Kathia Wheat) की मांग तेजी से बढ़ रही है. इससे किसानों को बाजार में उपज की बेहतर कीमत मिल रही है
इससे किसानों का रुझान एक बार फिर कठिया गेहूं की ओर बढ़ा है. कठिया गेहूं सूखे क्षेत्रों में सिंचाई की कमी और अधिक तापमान सहन करने की क्षमता के कारण उगाया जाता है
इसकी खेती के लिए तीन सिंचाई पर्याप्त होती है, जिससे यह फसल जलवायु परिवर्तन में किसानों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रही है
सिंचाई की दशा में कठिया प्रजातियों का औसत उत्पादन 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और असिंचित दशा में इसका उत्पादन 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है
सामान्य गेहूं की अपेक्षा कठिया गेहूं में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है. इसमें बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन- A बनता है
बीटा कैरोटीन की उपलब्धता होने के कारण यह कुपोषण की समस्या को कम करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है
कठिया गेहूं का इस्तेमाल दलिया, सूजी, पिज्जा, सेवइयां, नूडल्स और जल्द पचने वाले पौष्टिक आहार बनाने में किया जाता है