भारतीय बाजार में सोने के दाम 50 हजार प्रति 10 ग्राम के ऊपर बने हुए हैं. हफ्ते के पहले दिन भी सोने के भाव में तेजी देखने को मिली. महंगाई के इस दौर में अगर दुकानदार आपके साथ छल करे तो क्‍या आप बर्दाश्‍त कर पाएंगे. शायद नहीं! खासकर त्योहारी सीजन और शादियों पर इनकी खरीदारी ज्यादा होती है. यही वजह है कि सोने और ज्वेलरी की शुद्धता को लेकर सरकार भी गंभीर है. सोने से बनी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि, कोरोना वायरस के चलते हॉलमार्किंग नियमों में अगले साल जून तक ढील दी गई है. 

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सोने की पहचान में पूरी तरह पारंगत होना तो आसान नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप गलत चीज खरीदने से बच सकते हैं. सोना खरीदते समय किन बातों का ध्‍यान रखें. कैसे पहचानें आपका सोना कितना शुद्ध है. सोना खरीदते वक्त उसकी क्वॉलिटी पर जरूर गौर करें. सबसे अच्छा है कि हॉलमार्क देखकर सोना खरीदें. हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) करती है.

24 कैरट गोल्ड की नहीं बनती ज्वेलरी

हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है. सबसे पहली बात यह कि असली सोना 24 कैरट का ही होता है, लेकिन इसके अभूषण नहीं बनते, क्‍योंकि वो बेहद मुलायम होता है. आम तौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है. हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरट का हॉलमार्क अलग होता. मसलन 22 कैरट पर 916, 21 कैरट पर 875 और 18 पर 750 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.

ऐसे पहचानें असली हॉलमार्क 

हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. अगर सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. लेकिन, कई ज्वेलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी में ज्वेलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है. 

शुद्धता का ख्याल रखें

गोल्ड ज्वेलरी खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी शुद्धता का पता लगाएं. 24 कैरट गोल्ड सबसे शुद्ध होता है. गोल्ड ज्वेलरी 22 या 18 कैरट के सोने से बनती है. मतलब 22 कैरट गोल्ड के साथ 2 कैरट कोई और मेटल मिक्स किया जाता है. ज्वेलरी खरीदने से पहले हमेशा ज्वेलर से सोने की शुद्धता जान लें.

निकेल और प्लैटिनम भी समझें

वाइट गोल्ड ज्वेलरी अगर आप ले रहे हैं तो निकेल या प्लैटिनम मिक्स के बजाए पैलेडियम मिक्स ज्वेलरी लेना बेहतर होगा. निकेल या प्लैटिनम मिक्स वाइट गोल्ड से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है.

केडीएम और तांबे की होती है मिलावट

कई सुनार केडीएम को भी शुद्ध बताकर बेचते हैं, लेकिन इसमें कैडमियम नामक तत्व होता है, जोकि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है. साथ ही, इसमें तांबे की मिलावट भी होती है. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए आभूषण या सोने की किसी भी वस्‍तु पर अंक जरूर देखें. यहां पर सबसे अहम बात यह है कि अखबारों में प्रतिदिन छपने वाले या टीवी पर दिखाए जाने वाले सोने के दाम 24 कैरट गोल्‍ड के होते हैं. इसलिए अगर आप 23, 22 या कम कैरट का सोना खरीद रहे हैं, तो दाम कम होंगे.

प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें

गोल्ड खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें. सर्टिफिकेट में गोल्ड की कैरट क्वॉलिटी भी जरूर चेक कर लें. साथ ही गोल्ड ज्वेलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें.

विश्वसनीय दुकानों से खरीदें

अगर आपको मालूम नहीं है कि कॉमन बुलियन सिक्के कैसे दिखते हैं, तो इस बात की पूरी आशंका रहेगी कि आप बहुत ज्यादा खर्च करके भी नकली सिक्का खरीद लेंगे. सिक्के हमेशा विश्वसनीय दुकानों से और ज्वेलरी हमेशा हॉलमार्क निशान वाली ही खरीदें. छोटे ज्वेलर्स के पास हॉलमार्क ज्वेलरी नहीं होती. ऐसे में वहां धोखा होने का डर ज्यादा होगा. 

गोल्ड के प्राइज की जानकारी रखें

कई बार कंस्यूमर गोल्ड का मार्केट प्राइस जाने बगैर खरीदारी करने चले जाते हैं. ऐसा कभी न करें. इससे आपके पैसे भी ज्यादा खर्च होने की आशंका होगी और आपको सही वैल्यू भी नहीं मिल पाएगी.

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खनक पर दें ध्यान

असली और नकली सिक्कों की पहचान वे उसकी खनक से करते हैं. मेटल पर असली चांदी का सिक्का गिराने पर भारी आवाज, जबकि नकली सिक्का लोहे की तरह खनकता है. प्राचीन और विक्टोरियन सिक्के गोल व घिसे रहते हैं, जबकि नकली सिक्कों के किनारे कोर खुरदुरी रहती है.

लीजिए पक्की पर्ची

सिक्का या ज्वेलरी खरीदते वक्त कच्ची पर्चियां लेने का ट्रेंड है. लेकिन, यह गलत है. कई बार वापसी के वक्त ज्वेलर्स खुद ही अपनी कच्ची पर्ची नहीं पहचानते, इसलिए पक्का बिल जरूर लें. बिल में सोने का कैरेट, शुद्धता, मेकिंग चार्ज, हॉलमार्क का जिक्र जरूर हो.