NSE Co-Location Scam: वित्त मंत्रालय ने Market Infrastructure Institutions (MIIs) जैसे एक्स्चेंज, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरीज के ऑनरशिप और गवर्नेन्स स्ट्रक्चर का रिव्यू शुरू कर दिया है. इस रिव्यू के लिए वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर ने अरुण जेटली इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (Arun Jaitley National Institute of Financial Management) को जिम्मेदारी दी है. बता दें कि NSE के को-लोकेशन स्कैम के बाद डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर (DEA) ने MII के ऑनरशिप और गवर्नेन्स पर रिव्यू शुरू किया है. बताते चलें कि DEA, सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का नोडल डिपार्टमेंट है.

DEA के इंस्टीट्यूट ने MII को भेजे करीब एक दर्जन सवाल

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DEA के इंस्टीट्यूट ने MII को करीब एक दर्जन सवाल भेजे हैं. इस रिव्यू में KMP को दिए जाने वाले कम्पेन्सेशन के बारे में भी जानकारी मांगी है. गवर्नेन्स को लेकर कमेटी और बोर्ड का स्ट्रक्चर कैसा है, इस पर भी MII से जवाब मांगा गया है.

क्या है NSE को-लोकेशन मामला

सेबी ने इस साल 11 फरवरी को एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण और कुछ अन्य लोगों पर आनंद सुब्रमण्यम को प्रमुख रणनीतिक सलाहकार नियुक्त करने समेत कई अनियमितताओं का आरोप लगाया था. सेबी के आरोपों के बाद चित्रा रामकृष्ण देश की केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई थीं. बताते चलें कि चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया था. इतना ही नहीं, चित्रा ने बाद में आनंद को सालाना 4.21 करोड़ रुपये के सैलरी पर ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) के रूप में भी प्रमोट किया था.

एनएसई और चित्रा पर क्या हुई थी कार्रवाई

NSE को-लोकेशन मामले में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एनएसई और चित्रा रामकृष्ण के साथ-साथ 16 और लोगों पर 44 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया था. सेबी ने एनएसई पर 7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था तो वहीं दूसरी ओर एजेंसी ने चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका था.