त्योहारों में सोने की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही है. खासकर सोने की ज्वेलरी खरीदने वालों की डिमांड आ रही है. ज्वेलर्स भी इस डिमांड को पूरा करने के लिए लगातार सोने की डिमांड बढ़ा रहे हैं. लेकिन, बाजारों में इन दिनों सस्ता सोना भी बिक रहा है. दरअसल, सोने की डिमांड आते हैं, ठगी का कारोबार भी शुरू हो गया है. बुलियन मार्केट के एक ज्वेलर के मुताबिक, सस्ते सोने का लालच लोगों को कंगाल बना सकता है. ऐसे में अगर आप भी त्योहारी सीजन में सोना खरीदना चाहते हैं तो ध्यान दें, कहीं आप नकली सोना सस्ते में तो खरीदकर नहीं ला रहे हैं?

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सोने में पाउडर मिलावट का खेल

दिल्ली सर्राफा बाजार के एक ज्वेलर ने ज़ी बिजनेस को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिल्ली के कुछ ज्वेलर्स सोने में एक खास तरह का पाउडर मिलाकर बेच रहे हैं. इससे सोने की कीमत काफी कम हो जाती है और ग्राहक भी सस्ते सोने के लालच में फंसकर धोखे का शिकार हो जाता है. खास किस्म का ये पाउडर सोने में इस तरह मिलाया जाता है कि जांच में भी जल्दी से इसका पता लगाना मुश्किल है. ज्वेलर ने बताया यह पाउडर सीमेंट जैसा होता है. विदेशी बाजारों से इसे भारत लाया जाता है. खासकर सोने की चेन खरीदने वालों को सावधान रहना चाहिए. क्योंकि, सोने की चेन में ये पाउडर मिलाना सबसे आसान होता है. 

जांच में नहीं आता पाउडर?

पाउडर का जांच पता लगाना मुश्किल है. इसलिए शक होने पर अगर कोई जांच कराई जाती है तो ज्वेलरी को पूरा गलवाना पड़ता है. ग्राहकों को सावधानी रखने के लिए किसी भी तरह के डिस्काउंट या लकी ड्रॉ के फेर में नहीं पड़ना चाहिए. ज्वेलर बताते हैं कि सिर्फ सोने की चेन ही नहीं दूसरी ज्वेलरी में भी इस पाउडर को मिलाया जा रहा है. 

हॉलमार्क देखकर ही खरीदें ज्वेलरी

ग्राहक हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी लोकल शॉप से ज्वेलरी तब तक न खरीदें जब तक उस पर हॉलमॉर्क न हो. हॉलमार्क लगी ज्वेलरी इस बात की गारंटी है कि ज्वेलरी शुद्ध है. क्योंकि यह निशान भारतीय मानक ब्यूरो की तरफ से प्रमाणित की जाती है. 

24 कैरेट गोल्ड की नहीं बनती ज्वेलरी

सबसे पहली बात, असली सोना 24 कैरेट का ही होता है. यह बेहद मुलायम होता है, इसलिए इसके आभूषण नहीं बनाए जाते. आम तौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है.

शुद्धता के हिसाब से दिए जाने वाले अंक

हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता. मसलन 22 कैरेट पर 91.6, 21 कैरेट पर 87.5 और 18 पर 75.0 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.

हॉलमार्क वाली ज्वेलरी पर शुद्धता अंक 999 लिखा है तो सोना 99.9 फीसदी शुद्ध है. अगर, हॉलमार्क के साथ 916 का अंक लिखा हुआ है तो वह आभूषण 22 कैरेट का है और 91.6 फीसदी शुद्ध है.

इन चीजों की भी होती है मिलावट

1. निकेल और प्लेटिनम भी समझें

व्हाइट गोल्ड ज्वैलरी अगर आप ले रहे हैं तो निकेल या प्लैटिनम मिक्स के बजाए पैलेडियम मिक्स ज्वैलरी लेना बेहतर होगा. निकेल या प्लैटिनम मिक्स व्हाइट गोल्ड से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है.

2. केडीएम और तांबे की होती है मिलावट

कई सुनार केडीएम को भी शुद्ध बताकर बेचते हैं, लेकिन इसमें कैडमियम नामक तत्व होता है, जोकि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है. साथ ही, इसमें तांबे की मिलावट भी होती है. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए आभूषण या सोने की किसी भी वस्‍तु पर अंक जरूर देखें. यहां पर सबसे अहम बात यह है कि अखबारों में प्रतिदिन छपने वाले या टीवी पर दिखाए जाने वाले सोने के दाम 24 कैरेट गोल्‍ड के होते हैं. इसलिए यदि आप 23, 22 या कम कैरेट का सोना खरीद रहे हैं, तो दाम कम होंगे.

प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें

गोल्ड खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें. सर्टिफिकेट में गोल्ड की कैरेट क्वॉलिटी भी जरूर चेक कर लें. साथ ही गोल्ड ज्वैलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें.

पक्की पर्ची लें

सिक्का या ज्वैलरी खरीदते वक्त कच्ची पर्चियां लेने का ट्रेंड है. लेकिन यह गलत है. कई बार वापसी के वक्त ज्वैलर खुद ही अपनी कच्ची पर्ची नहीं पहचानते, इसलिए पक्का बिल जरूर लें. बिल में सोने का कैरेट, शुद्धता, मेकिंग चार्ज, हॉलमार्क का जिक्र जरूर हो.