तमाम बिजनेस में कस्टमर सर्विस एक बड़ा डिपार्टमेंट होता है, जिसके जरिए ग्राहकों की समस्या को सुलझाया जाता है. हालांकि, कई बार ग्राहकों के बहुत ही मामूली सवालों के लिए भी ग्राहक सेवा अधिकारी रखने पड़ते हैं, जिनकी वजह से कंपनी की कॉस्ट बढ़ती है. इन्हीं समस्याओं को सुलझाने का काम करते हैं तमाम तरह के चैटबॉट, लेकिन यह इंटरेक्टिव नहीं होते. इसी समस्या को समझा सर्वज्ञ मिश्रा और अंकित रुइया ने. दोनों ने इस समस्या से निपटने के लिए बनाया सुपरबॉट, जो लोगों से सीधे कॉल पर बात कर के उनकी समस्याओं को सुलझाता है.

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PinnacleWorks कंपनी के तहत सर्वज्ञ और अंकित ने अगस्त 2017 में SuperBot की शुरुआत की थी. पिछले 5 सालों में ही गुड़गांव के स्टार्टअप सुपरबॉट का टर्नओवर करीब 8 करोड़ रुपये का हो चुका है. दोनों ने पैरेंट कंपनी PinnacleWorks की शुरुआत 2012 में ही कर दी थी. इससे पहले दोनों मिल्कबास्केट की कोर टीम का हिस्सा था, जिन्होंने कंपनी का बेहतरीक टेक बनाया था. PinnacleWorks एक सर्विस कंपनी थी, लेकिन दोनों फाउंडर मिलकर टेक का एक ऐसा प्रोडक्ट बनाना चाहते थे, जो तेजी से स्केल हो सके. 

इसी के चलते 2017 में सुपरबॉट शुरू किया गया. कुछ महीनों की रिसर्च से समझ आया कि एआई की दुनिया में आने वाले 5-8 सालों में तगड़ी तेजी आएगी. ये सब ध्यान में रखते हुए जनवरी 2018 में 'सुपरबॉट फॉर एजुकेशन' की शुरुआत की. सर्वज्ञ दावा करते हैं कि यह इकलौता ऐसा बॉट है, जिससे आप बात कर सकते हैं. चैटबॉट में आप सिर्फ चैट कर पाते हैं, जिसमें लिखने में काफी वक्त लगता है. वहीं सुपरबॉट में आप सीधे बात करते हैं, जिसमें काफी कम वक्त लगता है. 

2019 में देखा कि एजुकेशन इंडस्ट्री में सुपरबॉट शानदार काम कर रहा है. इसके बाद सोचा कि सुपरबॉट को बाकी सभी इंडस्ट्री तक स्केल किया जाए. हालांकि, जब इस पर सोचना शुरू किया तो पाया कि अलग-अलग इंडस्ट्री में अलग-अलग दिक्कतें थीं. ऐसे में चाहते हुए भी बिजनेस को स्केल करना मुश्किल हो गया, क्योंकि हर बिजनेस की चुनौतियां अलग-अलग थीं. बाकी सभी इंडस्ट्री में डेटा की कमी हो गई, क्योंकि बिना डेटा के एआई मॉडल को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता है. 

सुपरबॉट को बनाने के लिए सर्वज्ञ और अंकित ने अमेरिका के फ्रीलांसर्स और एक्सपर्ट्स को 400-400 डॉलर प्रति घंटे देकर इसके बारे में सीखा और बिजनेस शुरू किया. इस दौरान उन्होंने लर्निंग और सॉल्यूशन भी डेवलप करवा लिया. उन्होंने बिजनेस की चुनौतियों से निपटने के लिए टेलिकॉम की चीजों को भी समझा. 2021 में पूरे एजुकेशन सेक्टर के लिए सुपरबॉट लॉन्च किया. वहीं 2022 में ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए भी सुपरबॉट निकाला. बाकी सेक्टर्स के लिए भी कई फीचर निकाले.

कैसे काम करता है सुपरबॉट?

यह कॉलिंग पर आधारित बॉट है, जिसे तमाम तरह के बिजनेस में इंटीग्रेट किए जा सकता है. हालांकि, सुपरबॉट स्टार्टअप के लिए इसे एजुकेशन में लागू करना सबसे आसान रहा, क्योंकि उसमें इनके कॉन्टैक्ट भी थे और डेटा भी था. सुपरबॉट के जरिए करीब 70 फीसदी सवालों के जवाब आसानी से दिए जा सकते हैं. जिन सवालों के जवाब नहीं दिए जा पाते हैं, उन्हें ह्यूमन के पास ट्रांसफर कर दिया जाता है. सुपरबॉट ना सिर्फ बात करता है, बल्कि प्रोफाइलिंग भी करता है और वेरिफाई करता है कि सही ग्राहक से बात हो रही है या नहीं. सुपरबॉट की मदद से कंपनियों को टाइम भी बचता है और पैसा भी बचता है. कंपनियों की लागत इसकी वजह से करीब 10 गुना तक कम हो जाती है.

क्या है कंपनी का बिजनेस मॉडल?

यह बी2बी बिजनेस है, जो तमाम बिजनेस को सुपरबॉट्स का सॉल्यूशन बेचता है. इसके लिए कंपनी बिजनेस को चार्ज करती है और उससे कमाई करती है. इन सुपरबॉट सॉल्यूशन को तमाम कंपनियां अपने बिजनेस के लिए अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करती हैं.

चुनौतियां भी कम नहीं

सर्वज्ञ बताते हैं कि इस बिजनेस में उन्हें 3 तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पहली चुनौती है अवेयरनेस, क्योंकि अधिकतर लोगों को इसके बारे में समझाना और सिखाना पड़ रहा है. दूसरी चुनौती इसकी स्वीकार्यता से जुड़ी है. लोगों के लिए बहुत नया होने की वजह से इसे कम स्वीकार्यता मिल रही है. कुछ लोग इसके काम पर शक कर रहे हैं तो कुछ को इसकी रोबोटिक आवाज से दिक्कत है. हालांकि, डेटा दिखाकर समझाने के बाद अधिकतर लोग आसानी से इस बिजनेस से जुड़ जा रहे हैं. बहुत नया कॉन्सेप्ट होने की वजह से इसके इंटीग्रेशन में भी चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं और बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है.

फंडिंग और फ्यूचर प्लान

अभी तक ये कंपनी पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है, लेकिन फंडिंग उठाने की प्लानिंग कर रही है. अगर बात भविष्य की करें तो कंपनी आने वाले दिनों में अपने बिजनेस को विदेश तक ले जाना चाहती है. कंपनी का टारगेट मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और यूरोप हैं. जो भी मार्केट बेस्ट रहेगा, उसमें सुपरबॉट को ले जाया जाएगा. सर्वज्ञ बताते हैं कि एजुकेशन सेक्टर में सुपरबॉट बहुत अच्छा काम कर रहा है, अब इसे तमाम दूसरी इंडस्ट्री में लागू करने की तैयारी की जा रही है. साथ ही इंटीग्रेशन को भविष्य में बेहतर बनाना है, ताकि इसकी स्वीकार्यता बढ़े और बिजनेस को फायदा हो सके.