स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमोस (Agnikul Cosmos) एक बार फिर से अपने अग्निबाण रॉकेट की लॉन्चिंग को टाल रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इस बात की पुष्टि लॉन्च साइट पर मौजूद लोगों ने की है. उन्होंने बताया कि इस बार रॉकेट लॉन्चिंग को कुछ तकनीकी खामियों के चलते टाला जा रहा है. कंपनी ने कुछ प्री- लॉन्च चेक किए, उसके बाद लॉन्चिंग को टालने का फैसला किया.

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हालांकि, अभी तक कंपनी की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. बता दें कि अग्निकुल कॉसमोस की तरफ से देश का दूसरा प्राइवेट रॉकेट लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले 2022 में स्पेस स्टार्टअप Skyroot ने अपना Vikram-S रॉकेट लॉन्च किया था.

पिछले महीने भी 22 मार्च को अग्निबाण की लॉन्चिंग होनी थी, लेकिन स्टार्टअप ने इसे टाल दिया था. तब कंपनी ने सिर्फ यही कहा था कि कुछ वजहों के चलते इसे टाला जा रहा है, लेकिन कोई वजह सार्वजनिक नहीं की थी. इस बार भी कोई बड़ी वजह ना बताते हुए टेक्निकल इश्यू की बात कही जा रही है.

कुछ समय पहले जुटाई थी ₹200 करोड़ की फंडिंग

स्पेस-टेक स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने पिछले ही साल अक्टूबर के महीने में घोषणा की थी कि उसने सीरीज बी राउंड की फंडिंग (Funding) के जरिए कुल 200 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस स्टार्टअप (Startup) का इनक्युबेशन IIT-Madras की तरफ से किया गया है. जिस रॉकेट को टेस्ट फायर किया जा रहा है, उसका नाम है अग्निबाण सॉर्टेड (Agnibaan SOrTeD). इस रॉकेट को जिस इंजन से पावर मिल रही है, उसे बनाने में अभी तक इसरो भी कोशिशें कर रहा है. यह लॉन्च बहुत ही अहम है, क्योंकि किसी निजी लॉन्च पैड से लॉन्च होने वाला यह भारत का पहला रॉकेट है. रॉकेट में दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और मैन्युफैक्चर किया गया है.

इस स्टार्टअप (Startup) ने फंडिंग भी इसी लिए उठाई थी, ताकि वह अपने बिजनेस को बढ़ा सके और रॉकेट का टेस्ट फायर कर सके. अग्निकुल ने लॉन्च व्हीकल अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर (Agnibaan SubOrbital Technology Demonstrator) का अपने प्राइवेट लॉन्चपैड पर इंटीग्रेशन फंडिंग मिलते ही शुरू कर दिया था.

क्या बोले कंपनी के फाउंडर?

रविचंद्रन ने फंडिंग के वक्त ही कहा था- 'जिस टेक्नोलॉजी की मदद से हम स्पेस तक पहुंच सके हैं, हमें उसकी अच्छी जानकारी है. अब रिसर्च और डेवलप के अधिकतर रिस्क से हम निपट चुके हैं और ऐसे में अब हम बिजनेस के विस्तार पर फोकस करना चाहते हैं. हम सिर्फ अगले कुछ लॉन्च के बारे में नहीं सोच रहे हैं, बल्कि हम 50-60 लॉन्च के बारे में सोच रहे हैं. हमें जो पैसे मिले हैं, उसका इस्तेमाल कर के हम अपनी टेक्नोलॉजी को और बेहतर करेंगे, सुविधाएं शुरू करेंगे और टेस्टिंग सिस्टम में इसका इस्तेमाल करेंगे. हमारे लिए ये जरूरी है कि हम अपने ग्राहकों को एक भरोसेमंद प्रोडक्ट मुहैया कराएं.' 

एक दशक में 44 अरब डॉलर का हो जाएगा मार्केट

भारत के स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर ने अनुमान लगाया है कि अगले एक दशक में स्पेस सेक्टर का मार्केट 44 अरब डॉलर तक का हो जाएगा, जो अभी 8 अरब डॉलर पर है. IIT-Madras कैंपस की तरफ से शुरू किए गए अग्निकुल ने जल्द ही कुछ और लोगों की हायरिंग करने की योजना बनाई है. कंपनी अभी अपना मुख्य फोकस प्रोडक्शन और ऑपरेशन पर रखना चाहती है.

2021 में हुई थी अग्निकुल की शुरुआत

साल 2021 में अग्निकुल ने सफलतापूर्वक Agnilet को टेस्ट फायर किया था. यह दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन था, जिसे पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया था. इसके लिए कंपनी ने सरकार से पेटेंट भी हासिल किया हुआ है. अग्निकुल ने पिछले ही साल अपनी तरह की एक खास फैक्ट्री की भी शुरुआत की है, जो रॉकेट की एंड-टू-एंड 3डी प्रिंटिंग करती है. यह रॉकेट 580 किलो वजन का है, जो श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा और अपनी पहले टेस्ट फायर में यह धरती से अधिक से अधिक 20 किलोमीटर ऊपर ही जा सकता है. इसके बाद यह बंगाल की खाड़ी में डूब जाएगा. बता दें कि यह रॉकेट 7 किलो पेलोड अपने साथ ले जा सकता है.