Business Ideas: आज के समय में सुअर पालन रोजगार और कमाई का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. इसका बेहतर उदाहरण हैं उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले नागेंद्र प्रताप सिंह. नागेंद्र ने एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन करने के बाद ट्रेनिंग लेकर सुअर पालन का काम शुरू किया. आज वो इससे ना सिर्फ मोटी कमाई कर रहे हैं बल्कि अन्य लोगों को सुअर पालन (Pig farming) की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

ऐसे मिला बिजनेस आइडिया

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नागेंद्र का कहना है कि एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद वो अपना खुद का बिजनेस करना चाहते थे. इसलिए, उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, कौशांबी, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित एग्री-क्लिनिक एंड एग्री-बिजनेस सेंटर योजना के तहत आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान 6 दिनों तक सुअर पालन (Piggery) की ट्रेनिंग ली. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन मैनेजमेंट के मुताबिक, ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सुअर पालन का काम शुरू किया.

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30 हजार रुपये लगाकर शुरू किया सुअर पालन

नागेंद्र ने अपनी बचत से 30,000 रुपये के निवेश से सुअर पालन का काम शुरू किया. उन्होंने 30 हजार रुपये में 2:8 (नर:मादा) के रेश्यो में यॉर्कशायर नल्स के 10 छोटे सुअर खरीदे. उसने अपने घर के पीछे 700 वर्ग फुट जगह पुश्तैनी जमीन में एक साल तक सुअरों को पाला. 

उनका कहना है कि सुअर पालन में सबसे बड़ी समस्या खाने की थी. इसके लिए, उसने शहर के बड़े और छोटे रेस्टोरेंट्स से संपर्क किया और उनसे अपने सभी बर्बाद और बचे हुए भोजन देने के लिए अनुरोध किया. नागेंद्र ने कहा, उसने एक साल बाद जानवरों को थोक और खुदरा विक्रेताओं को बेच दिया और इससे उन्हें 50,000 रुपये की कमाई हुई.

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बिजनेस का टर्नओवर 16 लाख रुपये के पार

सुअरों को बेचकर हुई कमाई पर उनको विश्वास नहीं हुआ. इसके बाद, उसने अपने मुनाफे से और सुअर खरीदे. वर्तमान में वह 60 पिगलेट वाला एक सुअर फार्म चला रहा है. सुअर फार्म बेरोजगार ग्रामीण युवाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र बन गया है. उनके फर्म, सिंह पिग फार्म का सालाना टर्नओवर 16 लाख रुपये को पार कर गया है. उनसे 7 गांवों के 500 से ज्यादा किसान जुड़े हैं.

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